अब यह सवाल पूछना थोड़ा अजीब तो है, अगर यह माने की इस ब्लॉग को पढ़ने वाले आप पुरुष हैं। क्योंकि हर पुरुष एक उम्र के बाद अपने पीनस को रोज़ाना निहारता ही है। बहुत कुछ सोचता है उसके बारे में। अगर पुरुष के पूरे शरीर के अंगों की बात करें तो शायद ही कोई और अंग इतना बड़ा हिस्सा होगा पुरुष कि सोच का।


मगर फ़िर भी, हम लोग पीनस के बारे में सब कुछ तो नहीं जानते। बैयोलोजी क्लास में जितना सीख सकते हैं पीनस के बारे में उतना भी नहीं सीख पाते क्योंकि जब भी हाई स्कूल की उस किताब में पीनस के चित्र वाला पन्ना खुलता था तो दोस्तों के साथ खी-खी ही करते थे।

इसलिए यह छोटा सा ब्लॉग। पर हाँ, यह कोई बैयोलोजी क्लास तो नहीं ही है। यह तो सिर्फ़ आप और हम यूँ ही कुछ बातचीत कर रहे हैं।

ख़ैर, तो सबसे पहले पीनस जैसा हमको दिखता है, या जिसको हम कई बार अपने हाथ में लेते हैं, उसको कहते हैं शाफ़्ट। उसके आगे वाला भाग, जहाँ वो छेद होता है जिसमें से पेशाब या वीर्य (semen) निकलता है उसको मेडिकल साइयन्स में कहते हैं, ग्लैंज़ (glans)।


तो यह तो वो हुआ जो बाहर से दिखता है। अब देखते हैं की अंदर क्या चल रहा है।


तो शाफ़्ट के अंदर हैं दो सिलेंडर जिनको कहा जाता है कॉर्परा कैवेरनोसा (corpora cavernosa)। अब क्योंकि इरेक्शन होने के वक़्त इसी में ख़ून भरता है, इसीलिए इसको तो पीनस का हीरो भी कह सकते हैं।

शाफ़्ट के अंदर एक ट्यूब भी है जो ब्लैडर से जुदा होता है और इसी से पेशाब बाहर निकलती है। इस ट्यूब का नाम है युरीथ्रा (urethra)। यह एक ऐसा ट्यूब है जो पुरुषों और महिलाओं दोनो में ही होता है। मगर हाँ, पुरुषों में पेशाब के अलावा इसमें से ही एक और चीज़ निकलती है वक़्त आने पर। आप समझ ही गए होंगे कि पेशाब के अलावा और क्या निकलता है? हाँ, एकदम सही। वीर्य (semen) भी इसी युरीथ्रा से चल कर बाहर आता है। युरीथ्रा के हर तरफ़ शाफ़्ट के अंदर होता है कॉर्पस सपोंजीयोसम (corpus spongiosum) जो उसकी रक्षा तो करता ही है और ‘इरेक्टायल टिशू’ होता है, मतलब की ज़रूरत पढ़ने पर खिंच कर बड़ा भी हो सकता होगा। क्यों खिंच कर बड़ा होना ज़रूरी है? अरे आप समझदार हैं, समझ ही गए होंगे।

अब जल्दी से देखते वीर्य की कहानी। कुछ ख़ास ग्रंथि (gland) होते हैं टेस्टिकल्ज़ (testicles) के अंदर जहाँ यह बनता है। टेस्टिकल्ज़ को तो आप जानते ही हैं (आम भाषा में इन्हें balls या गोटीयाँ कहा जानता है)। वीर्य (semen) बनने के बात स्टोर होता है एपीडायीडिमिस (epidydimis) में। वक़्त आने पर वास डेफेरेंस (vas deferens) नाम के ट्यूब से वीर्य पहुँचता है युरीथ्रा में।

तो टेस्टिकल्ज़ का रोल बहुत बड़ा है इस गेम में। यह कह सकते हैं की यह balls या गोतियाँ VIP हैं इस पूरे क़िस्से में। और किसी भी VIP की तरह इनको मिलती है z-category सिक्यरिटी। मतलब इनको सही सलामत रखने के लिए बना है एक ख़ास बैग, स्क्रोटम (scrotum)।

और अब यह कहानी ख़त्म। उम्मीद है कि आपको अपने इस विशिष्ट अंग के बारे में पढ़ने में मज़ा आया होगा। और भी क़िस्से कहानी हैं इस ब्लॉग में जिनमें आपको ज़रूर हाई आनंद आएगा। तो पढ़ते रहिए।