रफ खेलने वाले लड़के बड़े होकर सेक्सुअली ज्यादा एक्टिव रहते हैं।

मनुष्य की युवावस्था की आदतें और जीवन जीने का तरीका बहुत कुछ इस बात पर डिपेंड करता है कि उसका बचपन कैसा रहा है, कहा भी गया है कि,  हमारे बचपन की आदतें ही हमारी जवानी की पर्सनालिटी को बनाती हैं। गुजरे जीवन की चोटें इंसान के वर्तमान व्यक्तित्व का निर्माण कैसे करती हैं, इस बात को समझने के लिए एक स्टडी की गई और इससे पता चला कि विगत जीवन की चोटों और सेक्सुअल पर्सनालिटी के बीच गहरा सम्बन्ध है।

अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी  प्रोफेसर ग्लेन गेहेर और उनकी टीम ने लड़कों को बचपन मे लगने वाली गंभीर चोटों के लांग टर्म इफेक्ट को जानने के लिए स्टूडेंट्स के दो अलग अलग ग्रुप पर ऑनलाइन सर्वे किया। जिसमें उनके समाजिक वातावरण, बचपन के खेल की आदतों, खेल के दौरान लगीं चोटों और बड़े होने पर सेक्सुअल हिस्ट्री के बारे में प्रश्न पूछे। इस स्टडी के रिजल्ट्स को इंटरनल सोसाइटी फ़ॉर ह्यूमन एथोलॉजी में पब्लिश किया गया।

इनके अनुसार बचपन मे गंभीर चोटों का इस बात से सीधा सम्बन्ध है कि बड़े होने पर कितने जल्द वह सेक्स सम्बंध शुरू करते हैं और उनके कितने ज्यादा सेक्स पार्टनर होते हैं। यह भी सामने आया कि यह बात लड़कियों की अपेक्षा लड़कों पर ज्यादा प्रभावशाली है|

ऐसा क्यों होता है?

रिसर्च से मिली जानकारी, जीवन की जरूरतों और मनोविज्ञान के सिद्धांत का समर्थन करती है। हम सभी मे उम्र के बढ़ने के साथ साथ जीवन की आवश्यक चीजों (जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, सेक्स पार्टनर) को अर्रेंज करने की आदत का विकास होता है, साथ ही इस आदत के विकास की दर हमारे सामाजिक अनुभवों, और वातावरण पर निर्भर करती है। जो बच्चे रफ खेलते हैं, घायल होते हैं, उनमे फ़ास्ट लाइफ बिहेवियर डेवलप होने लगता है। वह दूसरे बच्चों की अपेक्षा रिस्क लेने से डरते नहीं हैं। वह अपनी जरूरतों को पूरा करते के लिए ज्यादा अग्रेसिव होते हैं|

बचपन मे रिस्क लेने की आदत बड़े होने पर भी बनी रहती है, ऐसे वयस्क सेक्स जैसे सॉर्ट टर्म गोल के प्रति अधिक एक्टिव होते हैं, इसी कारण वह जल्दी सेक्सुअली एक्टिव ही जाते हैं और उनके पार्टनर भी ज्यादा होने की सम्भावना होती है।रिसर्च करने वाले मनोवैज्ञानिक का कहना है, कि इस स्टडी का अर्थ यह नही है कि रफ प्लेयर्स आगे चलकर व्यभिचारी पर्सनालिटी के बन जाते है। ऐसा बिल्कुल भी नही मानना चाहिए, बल्कि इस स्टडी का उद्देश्य यह पता करने के लिए था कि वयस्कों में पर्सनालिटी डेवलपमेंट कैसे होता है, एवं इसमे बचपन की खेलकूद की आदतों का कितना योगदान होता है। साथ ही इस स्टडी से मिली जानकारी की सहायता से आने वाले समय मे बच्चों के लिए एक बेहतर विकास का वातावरण तैयार करने में मदद मिलेगी।




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