शीघ्र पतन से संबंधित मिथ्याएँ एवं तथ्य

शीघ्रपतन पुरुषों में पाई जाने वाली एक मुख्य सेक्स संबंधित बीमारी है। यह अट्ठारह से लेकर उनसठ वर्ष की आयु तक के पुरुषों में मुख्यतः पाई जाती है। वृद्ध पुरुषों की बात की जाए, तो उनमें स्तंभन दोष की समस्या ज़्यादा देखी गई है। शीघ्रपतन को कई बार पुरुष की मानसिक स्थिति से भी सीधे तौर पर प्रभावित माना जाता है।


किन्तु ऐसा पाया गया है कि शीघ्रपतन से सम्बंधित कई मिथ्याएँ हमारे समाज में काफी समय से प्रचलित हैं। निम्नलिखित कुछ मिथ्याएँ हैं, जिनका खंडन वैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों ने स्वयं किया है।

1 मिथ्या: शीघ्रपतन का कारण है बेचैनी एवं मानसिक अशांति। तथ्य : शीघ्रपतन से पीड़ित पुरुषों में बेचैनी एवं मानसिक अशांति की समस्या कम ही देखी गई है।


2 मिथ्या: यदि कोई पुरुष शीघ्रपतन से पीड़ित है तो उसे यह समस्या हर बार होगी। तथ्य : यदि कोई पुरुष शीघ्रपतन से पीड़ित है तो आवश्यक नहीं है कि उसे यह समस्या हर संभोग के समय हो। कई बार देखा गया है कि किसी पुरुष को एक साथी के साथ संभोग के समय शीघ्रपतन हो जाता था किन्तु दूसरे साथी के साथ संभोग के समय ऐसी कोई समस्या नहीं हुई। ऐसा भी देखा गया है कि एक ही साथी के साथ कभी शीघ्रपतन होता है और कभी नहीं होता।


3 मिथ्या : कई पुरुषों का ऐसा मानना है कि यदि उन्हें शीघ्रपतन की समस्या होती है तो इससे उनका साथी परेशान हो जाता है। तथ्य : इस विषय में जब महिलाओं से चर्चा की गई तब पता चला कि शीघ्रपतन की समस्या से पुरुष जितना परेशान हो जाते हैं, महिलाऐं उतना परेशान नहीं होती और यदि वे अपनी परेशानी व्यक्त करती भी हैं तो वह परेशानी पुरुष के स्वास्थ्य की चिंता के कारण होती हैं।


4 मिथ्या : यदि पुरुष का वीर्य पतन महिला के वजाइना में लिंग के प्रवेश होने के दो मिनट से पहले ही हो जाता है, तो पुरुष को शीघ्रपतन की समस्या है। तथ्य : कई पुरुष जिनका वीर्य पात पर नियँत्रण दो मिनट से अधिक था, इस बात पर ज़ोर डालते रहे कि वे शीघ्रपतन से पीड़ित हैं। शीघ्रपतन, वीर्य पतन को नियंत्रित कर पाने के समय पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि पुरुष का वीर्य उसकी इच्छा के विरुद्ध पात हो रहा है।


5 मिथ्या : शीघ्रपतन का उपचार पूर्णतः दवाइयों पर निर्भर करता है एवं रोगीयों को एन्टी डिप्रेज़ेंट दी जाती हैं। तथ्य : सर्वेक्षण के तहत जिन पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या थी, उनमें से सिर्फ बारह प्रतिशत पुरुषों का ही उपचार दवाइयों के द्वारा किया जा रहा था। शीघ्रपतन के रोगी मानसिक अशांति एवं बेचैनी से पीड़ित नहीं होते हैं। कई बार बेचैनी के कारण मस्तिष्क उत्तेजित हो जाता है, जिसके कारण शीघ्रपतन हो सकता है, किन्तु एक सर्वेक्षण में ऐसा पाया गया कि शीघ्रपतन के रोगी ज़रूरी नहीं कि हर बार मानसिक अशांति एवं बेचैनी से पीड़ित हों।

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