कौंच बीज का मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

आजकल कौंच बीज का प्रयोग डाइटरी सप्लीमेंट और जनरल बॉडी टॉनिक के रूप में किया जा रहा है, आइये जानते हैं कि केवांच का ह्यूमन बॉडी के अलग अलग सिस्टमों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

दोष कर्म

आयुर्वेद के अनुसार केवांच में गुरु, स्निग्ध गुण हैं, इसका रस मधुर, तिक्त होता है, और यह उष्ण वीर्य होता है। यह कफ और पित्त को बढ़ाता है एवं वातशामक होता है। इसे वातज विकारों में प्रयोग करते हैं। केवांच की फली के रोमों में मुकुनेन नामक तत्व होता है, जिसके कारण इसके त्वचा के सम्पर्क में आने पर हिस्टामाइन निकलता है और तेज खुजली होती है।

नर्वस सिस्टम

केवांच के बीज और मूल(रुट) नाड़ी संस्थान के लिए बल्य होते हैं। इसके बीज एवं मूल का पॉवडर और एक्सट्रेस्ट,  नर्वस सिस्टम की कमजोरी और वात व्याधियों में प्रयोग करते हैं।

डाइजेस्टिव सिस्टम

इसकी फलियों के रोम कृमिघ्न(एन्टी वर्म्स) होते हैं, अतः इनका उपयोग पेट के वर्म को समाप्त करने के लिए किया जाता है। खास तौर पर राउंड वर्म में विशेष लाभदायक हैं।

रिप्रोडक्टिव सिस्टम

कौंच के बीज वृष्य और शुक्रजनन होते हैं, इनका प्रयोग सेक्सुअल वीकनेस में करते हैं। इसकी रुट आर्तवजनन(महिलाओं में मासिक स्राव को बढ़ाने वाला) और योनि संकोचक होती है। इसे कष्टआर्तव (डिस मेनोरिया)और मेल इनफर्टिलिटी  में देते हैं।

यूरीनरी सिस्टम

कौंच की मूल डाइयूरेटिक होती है, और किडनी को डेटॉक्सीफाय करती है। इसे डिसयूरिया और दूसरी रीनल डिजीज में देते हैं|

कौंच का प्रयोग कुछ विशेष रोगों की चिकित्सा में भी सफलता पूर्वक किया जाता है।

पार्किंसन्स डिजीज

रिसर्च से सामने आया है कि कौंच बीज मनुष्य के शरीर मे डोपामाइन के स्तर को बढ़ाता है, और पार्किंसन्स डिजीज में डोपामाइन की कमी हो जाती है, अतः इस रोग की अन्य दवाओं के साथ कौंच बीज का प्रयोग करने से रोगी को बेहतर लाभ होता है।

प्रोलेक्टिनेमिया

पुरुषों में मनोरोग की दवा क्लोरप्रोमाज़ीन के प्रयोग के कारण प्रोलेक्टिन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। इस रोग की चिकित्सा में कौंच बीज का प्रयोग करते हैं।

त्वचा की शून्यता

त्वचा में शून्यता (नंबनेस) होने पर कौंच की के रोमों को घृत या वेसलीन में मिला कर मालिश करने से लाभ होता है |

नाड़ी व्रण

ऐसे घाव या व्रण जो देर से ठीक होते हैं नाड़ीव्रण  कहलाते हैं, इनका मूल स्थान अत्यंत गहराई में होता है |  इसके  अलावा डाईबिटिक  व्रण (कार्बन्कल्स ) की  चिकित्सा में  इसके पत्तों को पीस  कर लुगदी बना कर , लुगदी से घाव की ड्रेसिंग करने से घाव जल्द भर जाते हैं |

Medically reviewed by Rishabh Verma, RP

Any question about sex, answered by those who should have the answers. Absolutely free!
Call now
1800-121-9555