महिलाओं में लो लिबिडो की असली वजह क्या है?

महिलाओं के मन में क्या चलता है, इसे कोई नहीं जान सकता। अगर बात सेक्स ड्राइव यानी सेक्स करने की इच्छा की हो, तो यह डेन ब्राउन की किताबों में मिलने वाले रहस्य से ज़्यादा पेचीदा लगता है। शायद इसीलिए लिबिडो से जुड़े राज़ को सुलझाने में जुटे वैज्ञानिकों को यह ‘सीक्रेट कोड’ की तरह लगता है।


वैज्ञानिकों की राय में इस ‘सीक्रेट कोड’ को तोड़ना इतना मुश्किल इसीलिए है क्योंकि सेक्स ड्राइव या लीबिडो, या फिर सेक्स करने की इच्छा सिर्फ़ महिलाओं के वजाइन या योनि से नहीं, बल्कि उनकी भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक स्थिति से भी जुड़ी हुई है। यही बात लो लिबिडो (सेक्स को लेकर दिलचस्पी कम होना) पर भी लागू होती है। हेल्दीवूमन और पैलेटिन टेक्नोलॉजी के एक सर्वे के मुताबिक 30 से 50 साल तक की उम्र की लगभग 50 फ़ीसदी महिलाओं ने कभी न कभी सेक्स में दिलचस्पी की कमी का अहसास किया है। लो लीबिडो की वजह मेनोपॉज़, नींद की कमी, पीरियड, कोई खास दवाई, सिगरेट, स्ट्रेस, थायरॉयड, शुगर या कुछ और भी हो सकता है।


एक स्टडी में पाया गया कि महिलाओं में अच्छी नींद लेने से सेक्स डिज़ायर बढ़ती है। सिर्फ़ एक घंटे की नींद लेने पर महिला में सेक्स करने की दिलचस्पी में 14 प्रतिशत तक बढ़त होती है। इससे साफ़ ज़ाहिर है कि हर रात अच्छी नींद न लेने पर सेक्स लाइफ़ पर बुरा असर पड़ता है। सिगरेट में मौजूद निकोटीन एक वैसोकॉन्स्ट्रिक्टर है जो पूरे शरीर में खून को कम करता है। शोध से पता चला है कि भले ही महिलाओं के लिए वजाइन तक खून का पहुंचना उतना अहम नहीं होता है जितना कि पुरुषों के लिए होता है, लेकिन निकोटीन सेक्स में दिलचस्पी की गिरावट से जुड़ा हुआ है।


कुछ खास हार्मोंस जैसे टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्रोजन सेक्स लाइफ़ में अहम रोल अदा करते हैं। स्ट्रेस, डिप्रेशन, शुगर और थायराइड से इन हार्मोंस के उत्पादन पर असर पड़ सकता है और सेक्स ड्राइव कम हो सकती है। - कुछ दवाएं, जैसे एंटीडिप्रेसेंट, ब्लड प्रेशर की दवाइयां और बर्थ कंट्रोल पिल्सस या बर्थ कंट्रोल पैच, सेक्स ड्राइव को नुकसान पहुंचाने के लिए बदनाम हैं। मेनोपॉज़ के बाद हार्मोन महिलाओं के सेक्स ड्राइव में दखलंदाज़ी करते हैं। जबकि, बच्चे को जन्म देने के बाद प्रोलैक्टिन (एक हार्मोन जिसकी वजह से ब्रेस्टमिल्क बनता है) बढ़ जाता है जो सीधे तौर पर सेक्स ड्राइव में कमी से जुड़ा है।


पीरियड भी सेक्स ड्राइव को नुकसान पहुंचाते हैं। खास तौर पर, अगर महिला आयरन और कई दूसरे न्यूट्रीएंट की कमी से जूझ रही हो। आयरन, न्यूट्रीएंट और कुछ एसिड की कमी से महिलाओं के वजाइन तक ब्लड सर्क्युलेशन ठीक से नहीं हो पाता है जिससे लिबिडो कम हो जाता है। -कुछ थैलेट्स यानी प्लास्टिक, पर्सनल केयर प्रोडक्ट, सफ़ाई के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट, और फ़ास्ट फूड में पाए जाने वाले इस खास तरह के केमिकल का इस्तेमाल महिलाओं के हार्मोन में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। यह टेस्टोस्टेरोन के लेवल को कम कर सकता है। कम टेस्टोस्टेरोन का मतलब है, सेक्स में दिलचस्पी कम होना।

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