5 यौन संचारित बीमारियां ( STDs) जिनका खतरा पुरुषों को होता है

यौन संचारित बीमारियां या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STDs) ऐसी बीमारियां या इंफेक्शन हैं, जो सेक्स के दौरान व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती हैं। आमतौर पर इस तरह की बीमारियों का कारण ऐसे वायरस, बैक्टीरिया और पैरासाइट्स होते हैं, जो सेक्स के दौरान शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कुछ STDs को सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक कर लिया जाता है, मगर कुछ का इलाज अभी भी संभव नहीं हो पाया है। इसके अलावा सेक्स के दौरान फैलने वाले कुछ इंफेक्शन्स तो ऐसे हैं, जिनके लक्षण आपको बाहरी तौर पर दिखाई देते हैं, मगर कुछ के लक्षण शुरुआती अवस्था में दिखाई ही नहीं देते हैं। इसीलिए इन बीमारियों को खतरनाक माना जाता है।


आमतौर पर पुरुषों को इन 5 तरह की STDs का खतरा ज्यादा रहता है-


सिफलिस

सिफलिस आम STD है, जो बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। आमतौर पर ये रोग 3 स्टेज में होता है और इसके लक्षण सेक्शुअल कॉन्टैक्ट के 10 से 90 दिन बाद उभरने शुरू होते हैं। पहली अवस्था में सिफलिस होने पर व्यक्ति के लिंग पर दर्दरहित छाले उभर आते हैं। इस स्टेज में इंफेक्शन को एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन अगर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए और इलाज न किया जाए, तो ये इंफेक्शन दूसरे स्टेज में पहुंच जाता है, जहां पूरे शरीर पर इसका प्रभाव दिखने लगता है। इसके कारण त्वचा पर छाले, लिम्फ नोड्स में सूजन, अर्थराइटिस, लिवर और किडनी की समस्याएं आदि हो सकती हैं। कुछ लोगों में सिफलिस का तीसरा स्टेज भी देखने को मिलता है। इस स्टेज में व्यक्ति सालों-साल इस इंफेक्शन से जूझता रहता है और उसको ब्रेन इंफेक्शन, अंधापन और गूंगापन भी हो सकता है।


एचआईवी

एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी सिंड्रोम- ये एक ऐसी बीमारी है, जिसे सबसे खतरनाक STD माना जा सकता है। इसका कारण यह है कि एचआईवी के कारण व्यक्ति का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) पूरी तरह डैमेज हो जाता है। ध्यान देने की बात ये है कि इस बीमारी का कारण सिर्फ सेक्शुअल कॉन्टैक्ट नहीं होता, बल्कि कई बार संक्रमित सुई, ब्लेड या अन्य माध्यम (जिससे संक्रमण युक्त खून दूसरे व्यक्ति के खून में पहुंच जाए) से भी ये बीमारी हो जाती है। इस इंफेक्शन के होने पर रोगी के इम्यून सिस्टम पर इसका असर दिखने में 10 साल या इससे ज्यादा समय लग सकता है।


गोनोरिया

गोनोरिया एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्श है, जिसके लक्षण या संकेत कई बार स्पष्ट नहीं दिखाई देते हैं। इस इंफेक्शन के कारण व्यक्ति के मूत्रमार्ग में सूजन आ सकती है, जिसके कारण पेशाब करते समय जलन या दर्द होता है और पेशाब के साथ सफेद, पीला या हरे रंग का लिसलिसा पदार्थ निकलता है। आमतौर पर इस इंफेक्शन के लक्षण 4-8 दिन बाद दिखाई देते हैं, मगर कई बार पहला संकेत दिखने में 30 दिन से भी ज्यादा का समय लग जाता है। इसके कारण खुजली वाले चकत्ते हो जाते हैं और जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। इसका इलाज भी आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा किया जाता है।


क्लैमिडिया

क्लैमिडिया भी एक आम बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो ऐसे युवाओं में ज्यादा होता है, जो सेक्शुअली एक्टिव होते हैं। आमतौर पर इस इंफेक्शन का कोई खास लक्षण नहीं दिखता है, बस पेशाब में जलन और दर्द जैसे संकेत महसूस होते हैं। मगर बीमारी का पता चलते ही इसका इलाज बहुत जरूरी है, अन्यथा लंबे  समय में ये यौन अंग को नुकसान पहुंचा सकता है।


ट्रिकोमोनिसिस

ट्रिकोमोनिसिस भी एक तरह की यौन संचारित बीमारी है, जिसके लक्षण शुरुआती अवस्था में नहीं दिखते हैं। हालांकि जब लक्षण दिखना शुरू होते हैं, तो यूथ्राइटिस जैसे लक्षण दिखते हैं यानी पेशाब करते समय जलन, दर्द, लिसलिसा पदार्थ निकलना और खुजली आदि। इस रोग का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा किया जाता है। आमतौर पर ये इंफेक्शन एंटीबायोटिक्स के 1-2 डोज से ही ठीक हो जाता है।



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