हर ज़माने में प्रेम की भाषा बदली है, इसकी परिभाषा बदली है। एक दौर था जब किसी हाथ भर थम लेना प्यार समझा जाता था और एक दौर यह है जब प्रेम को किसी दायरे में रख कर परिभाषित करना अपने आप में आग का दरिया पार करने जैसा है। हर दौर  के प्रेम को उसकी युवा पीढ़ी ने अपने अनुसार ढाला है। हमारी आज की युवा पीढी का हर अंदाज़ नया है। बात यदि प्रेम संबंधों कि की जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी युवा पीढ़ी ने प्रेम के स्वरूप को समझने की जगह उसे अपने द्वारा निर्मित एक नए ढांचे में उतारने कि कोशिश की हइनका प्यार करने का अंदाज़ भी नया है और प्यार जताने के अंदाज़ भी नया है। जहां एक तरफ हम मर्यादाओं का नाम पर पाली गई पाबंदियों से ऊपर उठ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हम अपनेही नविनिकरण का शिकार बनते जा रहे हैं। हमारी युवा पीढ़ी ने प्रेम और संभोग जिन्हें पूर्व में एक ही दृष्टि से देखा जाता था, को दो अलग अलग स्थितियों के रूप में स्वीकार किया है।

जहां प्रेम इनकी भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करने का एक साधन है, वहीं संभोग इनकी शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने का साधन मात्र है। बिना किसी प्रेम संबंध में पड़े, अपनी शारीरिक ज़रूरतों की पूर्ति करना, हमारी पीढ़ी का उद्देश्य बनता जा रहा है। इसके फल स्वरूप हम अपने आस पास कितने ही युवाओं में कमिटमेंट फोबिया जैसी कई अन्य मानसिक परेशानियां देख रहहाल ही में किए गए एक शोध में यह पता चला कि यूनाइटेड किंगडम में सोलह से बीस वर्ष की आयु के दस में से हर एक किशोरी को सेक्स से संबंधित समस्याओं से गुजरना पड़ता है। यह न सिर्फ उन्हें शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी तकलीफ देती है। सर्वेक्षण के पश्चात यह पता चला की काफी अधिक संख्या में युवाओं को सेक्स के दौरान पीड़ा एवं व्याग्रता से गुजरना पड़ता है। इनमे से कई युवा ऐसे भी पाए गए जो अपने संभोग के समय को नियंत्रित नही कर पा रहे थे। 33 प्रतिशत पुरुष एवं 44 प्रतिशत महिलाएं में यौनेच्छा से संबंधित समस्याएं पाई गईंमहिलाओँ में कई सेक्स संबंधित समस्याएं पाई गई जिनमे से मुख्य समस्याऐं निम्लिखित थीं:


- संभोग के दौरान रुचि खत्म हो जाना


- संभोग के पश्चात शारीरिक पीड़ा का अनुभव करना

- यौनी में सूखापन


- संभोग के दौरान व्याग्रता को अनुभव करना


पुरुषों में भी व्याग्रता एवं रुचि खत्म होने जैसी समस्याऐं पाई गईं। साथ ही कई पुरुष शीघ्र पतन, स्तंभन दोष आदि समस्याओं से ग्रस्त थे।


विशेषज्ञों का मानना है कि बात जब भी सेक्सुअल हेल्थ की हो, हम एड्स जैसे संक्रामक रोगों से बचने के उपाय सोचते हैं। जबकि हमारे यौन जीवन में बाधा आने से हमारे जीवन के कई पहलुओं पर असर पड़ता है।उन्होंने माना कि यदि आप अपने यौन जीवन में सुधार लाना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम अपने साथी के साथ अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास करें। लैंगिक समानता इसका पहला कदम है। अपने साथी के साथ समान व्यवहार करें। उनके अधिकारों और जरूरतों को कभी कम न आंके। आपसी बातचीत से भी कई उलझने दूर हो सकती हैं।