टेस्टिकल्स पुरुष रिप्रोडक्टिव सिस्टम का एक अहम भाग हैं, क्योंकि इन्हीं में टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म बनते हैं। ये स्क्रोटम में होती हैं जो शरीर से बाहर लटकता है। स्क्रोटम में किसी भी तरह की हड्डी नहीं होती है इसलिए ये इन्हें किसी भी तरह की चोट से नहीं बचा पाता है पर स्पर्म सेल के जिन्दा रहने के लिए सही तापमान ज़रूर बनाए रखता है।
हालांकि आदमियों में यूरिनल ट्रैक्ट इन्फेक्शन ज्यादा नहीं पाया जाता है पर उनमें टेस्टिकल इन्फेक्शन के मामले पाए जाते हैं जिससे उनकी हेल्थ और फर्टिलिटी दोनों पर असर पड़ता है। टेस्टिकल इन्फेक्शन का सबसे ज्यादा पाए जाने वाला लक्षण टेस्टिकल में दर्द होना है।
टेस्टिकुलर इन्फेक्शन के क्या कारण हैं?
टेस्टिकुलर इन्फेक्शन के कुछ लक्षणों में टेस्टिकल में दर्द, ऑर्काइटिस, एपिडीडिमाइटिस, टेस्टिकल ट्रोमा और टेस्टिकल में मरोड़ शामिल हैं।
·एपिडीडिमाइटिस: एपिडीडिमिस जो कि टेस्टिकल के पीछे पाई जाने वाली एक नस है जिसमें से होकर स्पर्म वास डिफेरेंस तक जाते हैं, की सूजन है।
·ऑर्काइटिस: एक या दोनों टेस्टिकल की सूजन है।
इन दोनों के होने का कारण वायरल या बैक्टीरियल हो सकता है पर एपिडीडिमाइटिस ज्यादातर 18 साल से ज्यादा उम्र के आदमियों में होता है। एपिडीडिमिस जब किसी वायरल से प्रभावित होता है तो वो इन्फेक्शन टेस्टिकल तक भी फ़ैल जाता है। जो लोग सेक्सुअली एक्टिव हैं उनमें ये ज्यादातर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारी के चलते होता है जैसे- गोनोरिया
ज्यादातर इन्फेक्शन मूत्र मार्ग से शुरू होते हैं और टेस्टिकल तक फ़ैल जाते हैं।
पुरुषों में एपिडीडिमाइटिस के कई अन्य कारण हैं जिनमें उम्र बढ़ने के कारण प्रोस्टेट के बढ़ने से होने वाले मूत्राशय आउटलेट में रुकावट शामिल हो सकती है। यह बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस (एक संक्रमण जो प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित करता है) के कारण भी हो सकता है।
जबकि टेस्टिकुलर मरोड़ में स्पेर्मटिक कॉर्ड मुड़ जाती है और टेस्टिकल तक ब्लड सप्लाई बंद हो जाती है।
इन पर ध्यान ना दिया तो टेस्टिकल टिश्यू मर भी जाते हैं। इस अवस्था में 6 घंटे के अंदर अंदर सर्जरी की सलाह दी जाती है।
टेस्टिकुलर इन्फेक्शन के लक्षण क्या हैं?
नीचे टेस्टिकुलर इन्फेक्शन से जुड़े कुछ लक्षण बताए गए हैं:
·टेस्टिकल में अचानक से दर्द होना
·स्क्रोटम में जलन
·बुखार
·ठंड लगना
·पेनिस से डिस्चार्ज होना
·टेस्टिकल में गांठ होना
·सीमेन में खून आना
·उल्टी जैसा मन होना
·थकावट महसूस होना
·पेशाब करते हुए दर्द होना
·सेक्स करते हुए दर्द होना
·ग्रोइन में दर्द
·पेल्विक में दर्द होना और बार बार मूत्र करने जाना
उपचार और इन्फेक्शन के लिए टेस्ट
फिजिकल एग्जाम से भी इसका टेस्ट आसानी से किया जा सकता है। टेस्टिकुलर मरोड़ की जांच करने के लिए रेडियोग्राफिक टेस्ट की ज़रूरत पड़ सकती है। टेस्टिकुलर में दर्द का कारण जानने से पहले ध्यान रखें कि 2 तरह की टेस्टिकुलर कंडीशन होती है:
क्रोनिक एपिडीडिमाइटिस – इसमें सिर्फ स्क्रोटम में दर्द होता है, और ज्यादा नहीं होता है। इसमें मरीज को किसी तरह की सूजन, जलन, लालपन या पसीना आदि नहीं आता है और मूत्र में भी इन्फेक्शन नहीं होता है।
एक्यूट एपिडीडिमाइटिस- इसमें दर्द, सूजन, ऐंठन रहती है। चेहरे की ग्रंथियों की सूजन (पेरोटिडाइटिस) आमतौर पर संक्रमण के लगभग 3 से 7 दिनों में एक्यूट ऑर्काइटिस से होता है।
एपिडीडिमाइटिस के ठीक करने के क्या तरीके हैं?
इसके लिए आप 2 हफ्ते तक एंटीबायोटिक ले सकते हैं। ज्यादातर मामलों में ऑरल एंटीबायोटिक्स जैसे एज़िथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, ओफ़्लॉक्सासिन, ट्राईमेथोप्रिम-सल्फामेथॉक्साज़ोल और लेवोफ़्लॉक्सासिन दी जाती हैं। ट्यूबरक्लोसिस एपिडीडिमाइटिस में ज्यादा सीरियस केस में सर्जरी से टेस्टिकल को हटाया जाता है।
निष्कर्ष
टेस्टिकल पुरुष के रिप्रोडक्टिव सिस्टम का अहम हिस्सा है इसलिए ज़रूरी है कि इनके इन्फेक्शन को समय रहते अच्छे से चेक करवा कर टेस्ट करवाया जाए, और सही इलाज किया जाए। क्योंकि ज्यादा समय आपके रिप्रोडक्शन सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है।