एक बार फिर से जवान दिनों जैसी ताक़त महसूस करने के लिए टेस्टोस्टेरोन सप्लीमेंट लेना आजकल आम हो गया है। आदमी अपनी एनर्जी को अपने चरम पर महसूस करना चाहते हैं? पर ये गोली खाने से पहले इससे जुड़े सभी जोखिमों को जानना ज़रूरी है।
टेस्टोस्टेरोन थेरेपी आपकी सभी समस्याओं के लिए एक जादू की छड़ी की तरह लगती है, खासकर बड़ी उम्र लोगों के लिए, यह एक एंटी-एजिंग फॉर्मूला जैसा लगता है। हालांकि, टेस्टोस्टेरोन थेरेपी से बस फायदा ही होता है इसका वादा नहीं किया जा सकता है। टी बूस्टर के नाम से जानी जाने वाली ये दवा कई बार वैसा असर नहीं करती है जैसा इसके निर्माता दावा करते हैं। यह दुख की बात है कि बाजार में उपलब्ध ऐसे सप्लीमेंट्स में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और खनिज तो होते हैं, पर शरीर में टेस्टोस्टेरोन में सुधार करने के लिए शायद ही इसमें कोई निशान पाए जाते हैं।
टेस्टोस्टेरोन पुरुष शरीर में प्राथमिक पुरुष सेक्स हार्मोन है और इसे एडम के सेब के अस्तित्व के पीछे एक महत्वपूर्ण स्रोत भी माना जाता है। हार्मोन पुरुषों में उभरी हुई मांसपेशियों, आवाज की बनावट और बालों के लिए भी जिम्मेदार है। जब पुरुष 30 वर्ष के हो जाते हैं, तब तक ये संकेतक फीके पड़ जाते हैं, और इसके बजाय उनमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसलिए, पुरुष अपने खोए हुए युवा और पुरुषत्व को वापस पाने के लिए एक इलाज की तलाश करते हैं, जिसके चलते वो टी बूस्टर का सहारा लेते हैं।
टेस्टोस्टेरोन आमतौर पर टेस्टिकल में रहता है और फैट डिस्ट्रीब्यूशन, स्पर्म बनने, रेड ब्लड सेल्स बनने, मांसपेशियों की शक्ति और द्रव्यमान, चेहरे और शरीर के बालों के लिए जिम्मेदार है। कुछ पुरुष हाइपोगोनैडिज्म से भी पीड़ित होते हैं। यह स्थिति पुरुषों की टेस्टोस्टेरोन की पर्याप्त मात्रा का उत्पादन करने की क्षमता में बाधा डालती है, जो सीधे टेस्टिकल या पिट्यूटरी ग्लैंड में समस्या से संबंधित हो सकती है। इसलिए, टेस्टोस्टेरोन थेरेपी या सप्लीमेंट्स का प्रचलन काफी बढ़ा है।
इतना ही नहीं, टेस्टोस्टेरोन थेरेपी में जोखिम भी साथ आता है। यह कुछ पुरुषों में स्लीप एपनिया का कारण हो सकता है, एक नींद विकार जिसमें सोते हुए सांस बंद होने का डर रहता है। यह मुँहासे और अन्य त्वचा की समस्याओं को भी बुलावा देता है। दुर्भाग्य से, थेरेपी प्रोस्टेट (सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया) के लिए भी जिम्मेदार होता है और किसी भी मौजूदा प्रोस्टेट कैंसर के विकास में योगदान कर सकता है। यह बढ़े हुए स्तनों, टेस्टिकल के सिकुड़ने और स्पर्म कम बनने का एक कारण भी हो सकता है।
ये थेरेपी कई बार ब्लड क्लॉट बनने की समस्या भी खड़ी कर कर सकती है। इससे डीप वेन थ्रोम्बोसिस ह सकता है, इसमें इनके ढीले होने, टूटने और खून में प्रवेश करने और फिर आपके फेफड़ों में भी घुसने का जोखिम है, जिससे रक्त प्रवाह में अवरोध पैदा होता है। तत्काल मृत्यु हो का कारण भी हो सकती है।
इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने यह भी संकेत दिया है कि टेस्टोस्टेरोन थेरेपी दिल के लिए भी रिस्क बन सकती हैं। हालांकि इसके ज्यादा प्रमाण नहीं मिले हैं, इसलिए इसका प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है।
यदि आप टेस्टोस्टेरोन थेरेपी में रुचि रखते हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करते हुए अच्छे से इसके नुकसान के बारे में भी बात करें। बिना जाने इस गोली का सेवन कभी भी मत करें, आपको एक जीवन मिला है, इससे खिलवाड़ करना बेहतर नहीं है।