"कुङ्कुमं कटुकं स्निग्धं शिरोरूग्व्रण जन्तुजित ।
तिक्तं वमिहरं वर्ज्यं व्यंङ्म दोषत्रयापहम ।।"
भाव प्रकाश निघंटु श्लोक- 78
केशर कटु एवं तिक्त रस युक्त, स्निग्ध, और वर्ण्य होता है, तथा यह शिरोरोग, व्रण, कृमि, वमन, व्यंङ्ग और त्रिदोष को नष्ट करता है।
केशर इरिडेसी कुल का एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। आयुर्वेद के ग्रंथों में इसे वर्ण्य(शरीर के वर्ण को बढाने वाला), शोणित स्थापन(एन्टी हेमोरेजिक), ऐलादि गण में रखा गया है। केशर का बोटानिकल नाम क्रोकस सेटाईवस(crocus sativus) है। इसके अलावा इसे कुमकुम, जाफरान, केसर, काश्मीर, और सैफरन saffron, सन शाइन स्पाइस के नाम से भी जाना जाता है। केशर की पहचान दुनिया के सबसे कीमती मसाले के रूप में है, 1 ग्राम केशर की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1 से लेकर 10 डॉलर के मध्य रहती है। इसकी खेती में ज्यादातर काम हाथों से ही किया जाता है।
स्वरूप
केशर का पौधा छोटा 6 से 10 इंच ऊंचा बहुवर्षायु होता है। इसकी रुट, कंद(ट्यूबर) के रूप में होती है। पत्ते रेखाकार, तथा मुड़े हुए किनारों वाले होते हैं। पुष्प अकेले या 2-3 एक साथ, बड़े, सुगंधित तथा बैगनी रंग के होते हैं। पुष्प के अंदर से प्राप्त होने वाले केशर तंतु ही केशर कहलाते हैं। एक पुष्प से लगभग 3 केशर तंतु प्राप्त होते हैं।
उत्पत्ति
केशर मुख्य रूप से दक्षिणी यूरोप के मूल का पौधा है, और स्पेन, फ्रांस, इटली, ग्रीस, तुर्की, भारत, चीन में भी इसकी खेती होती है। भारत में इसकी सर्वाधिक खेती जम्मू कश्मीर के क्षेत्र में होती है।आयुर्वेद के ग्रंथ भाव प्रकाश के अनुसार केशर तीन प्रकार का होता है। जिसमे कश्मीर क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला केशर, रक्ताभ, सूक्ष्म, और कमल के समान गंध वाला होता है। यह सबसे अधिक उत्तम माना गया है।बाजार में मिलने वाले केशर में कई तरह की मिलावट करके वजन अधिक करके बेचा जाता है, अतः इसे लेते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
रासायनिक संगठन
केशर में तीन तरह के रंजक द्रव्य, उड़नशील तैल 1.37 प्रतिशत, स्थिर तैल 13.4 प्रतिशत, क्रोसीन नामक एक ग्लाइकोसाइड पाए जाते हैं। साथ ही इसकी भस्म में पोटैशियम और फॉस्फोरस होते हैं।
उपयोगिता
- केशर में पाये जाने वाले केमिकल्स मूड परिवर्तन करते हैं, शरीर मे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करके उन्हें नष्ट करते हैं।
- बॉडी में किसी जगह स्वीलिंग होने पर उसे दूर करते हैं। साथ ही केशर एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी कार्य करता है।
- केशर का प्रयोग डिप्रेशन में और अल्ज़ाइमर डिजीज में किया जाता है। महिलाओं में मेंस्ट्रुअल क्रेम्प, और प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से बचाव के लिए इसे प्रयोग करते हैं।
- पुरुषों में केशर का प्रयोग स्तम्भन दोष(प्री मैच्योर इजेकुलेशन) और नपुंसकता की चिकित्सा में करते हैं।
- कुछ स्थानों पर केशर का उपयोग एलोपेसिया की चिकित्सा में सर पर लगाने में भी होता है।
- खाद्य पदार्थों में केशर एक मसाले के रूप मे प्रयुक्त होता है।
- सुगंधित पदार्थों में भी इसका भरपूर उपयोग होता है।