मोटापा आजकल के समय की एक बड़ी समस्या है। माना जाता है कि इन दिनों 10 में से 6 व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त हैं। जहाँ एक ओर मोटापे को हृदय रोग, मधुमेह जैसी कई बीमारियों से जोड़ कर देखा जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ चिकित्सक एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि मोटे पुरुषों की संभोग शक्ति दुबले पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है।


मोटे लोगों में सेक्स क्षमता ज्यादा

तुर्की की एराइसेस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक शोध में यह बताया गया कि पुरुषों के शरीर में जितनी अधिक चर्बी होती है, उनमे "फीमेल हॉर्मोन" के स्त्रावण की क्षमता उतनी ही अधिक होती है। इस कारण से उनकी संभोग शक्ति अधिक होती है एवं वे अपने साथी को अधिक समय तक तृप्त कर पाते हैं। मोटे पुरुषों में एस्ट्राडियोल की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो कि एक फीमेल सेक्स हॉर्मोन है। इस हॉर्मोन के द्वारा उनके शरीर में कुछ ऐसे रासायनिक परिवर्तन होते है, जिनके द्वारा वे अधिक समय तक संभोग कर पाते हैं।

इस सर्वे में देखा गया कि जहां आम शरीर वाले पुरुष औसतन मात्र 1.8 मिनट तक सेक्स कर पाए, वहीं मोटे पुरुषों में यह समय बढ़कर 7.3 मिनट तक पाया गया।


100 पुरुषों पर किया गया शोध

एक शोध के अंतर्गत, वैज्ञानिकों ने लगभग 100 पुरुषों का "बी एम आई" रिकॉर्ड किया। इस डेटा की अन्य 100 मोटे पुरुषों के "बी एम आई" के साथ तुलना की गई। इस तुलना के पश्चात विशेषज्ञों ने यह पाया कि जो पुरुष शीघ्र पतन से पीड़ित थे, उनका "बी एम आई" बाकी पुरुषों की तुलना में काम था, अर्थात वे शारीरिक रूप से ज़्यादा स्वस्थ थे। किंतु जिन पुरुषों का "बी एम आई" अधिक आया, वे बाकी पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक संभोग करने में समर्थ थे।


मेल हार्मोन फीमेल हार्मोन में बदलने लगता है

वैज्ञानिकों ने इस विषय पर रोशनी डालते हुए बताया कि पुरुषों में चर्बी जितनी अधिक होगी, उनके शरीर मे मौजूद एरोमेटेज़ एंजाइम, उनके टेस्टोस्टेरोन को उतना ही अधिक एस्ट्रोजन में परिवर्तित करेगा। एस्ट्रोजन का ही एक रूप एस्ट्राडियोल चर्बी में संचित हो जाता है। हालांकि एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के कुछ पुरुष इतने मोटे थे, की वे अपना लिंग नही देख पाते थे। इस स्थिति में उनका मोटापा उनके संभोग में रुकावट बन सकता है। एरोमेटेज़ का निर्माण पुरुषों के मस्तिष्क, टेस्टिकल एवं लिंग में होता है

यह एंजाइम उनके शरीर मे मौजूद टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित कर देता है। एस्ट्रोजन का ही एक रूप एस्ट्राडियोल होता है जो पुरुषों में यौनेच्छा को प्रवृत्त करने के लिए आवश्यक होता है।

मस्तिष्क के ऐसे हिस्से, जो यौनेच्छा की प्रवृत्ति के लिए ज़िम्मेदार हैं, जैसे कार्पस केल्लोसम, उनमे ऐरोमेटेज़ नामक एंजाइम का निर्माण होता है। इसी एंजाइम की क्रिया से पुरुषों में स्पेर्मेटोजेनेसिस अर्थात शुक्राणुओं का निर्माण होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन पुरुषों में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होती है किन्तु टेस्टोस्टेरोन की मात्रा कम होती है, उनमें यौनेच्छा तो होती है किंतु वे स्तम्भन दोष से पीड़ित हो जाते हैं।

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