एक पुरुष को बिस्तर में कितनी देर तक ठहरना चाहिए इस बारे में कोई निर्धारित समय सीमा नही है, लेकिन यदि आप सेक्सुअल इंटरकोर्स शुरू करने के बहुत जल्दी (एक मिनट से भी कम समय में) ऑर्गेज्म अनुभव कर लेते हैं, और इजेक्युलेट हो जाते हैं तो यह अवस्था प्रीमैच्योर इजेक्युलेशन कहलाती है।

इजेक्युलेशन के बाद आप सेक्स नही करते रह सकते और इतने कम समय मे आपके पार्टनर के असंतुष्ट रह जाने की संभावना बढ़ जाती है। यह समस्या मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करती है, इसके कारण पुरुष स्वयं को अपमानित और कमजोर महसूस करता है। इसकी वजह से आप के रिलेशनशिप कमजोर होने लगते हैं, जो आगे चलकर टूट भी सकते हैं।


पहचान करें

बेडरूम में टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण होती है, आपका, अपने पार्टनर से पहले क्लाइमेक्स पर पहुँचना आपकी सेक्स लाइफ को नुकसान पहुंचा सकता है, इसे ठीक करने से पहले इसकी पहचान करना जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना उचित रहता है। आपकी मेडिकल हिस्ट्री, और फिजिकल टेस्ट की भी आवश्यकता होती है।

अगर आपको प्रीमैच्योर इजेक्युलेशन के साथ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन भी है तो डॉक्टर आपके कुछ ब्लड टेस्ट कर सकते हैं। जिनसे आपके शरीर मे टेस्टोस्टेरॉन के स्तर का पता लग सके साथ ही डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर की जांच भी जरूरी है। शारिरिक रूप से सब फिट होने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।


कारण

प्रीमैच्योर इजेक्युलेशन के होने के कारण बहुत स्पष्ट नही हैं। सही समय तक इरेक्शन बनाये रखने में बहुत से फैक्टर काम करते हैं।

  • फिजिकल कारणों में टेस्टास्टेरॉन, सेरोटोनिन हार्मोन्स का सही लेवल न होना। डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज आदि का होना।

मानसिक और भावनात्मक कारण जैसे स्ट्रेस, डिप्रेशन, परफॉर्मेंस अंज़ायटी भी इजेक्यूलशन की टाइमिंग को कम कर देते हैं।ज्यादातर मामलों में जल्द इजेक्यूलशन के पीछे कोई शारिरिक कारण नही होते बल्कि मानसिक कारण होते है।

अनेक बार किसी नए रिलेशनशिप में ऐसा होता है, लेकिन थोड़ा समय के बाद यह अपने आप ही ठीक ही जाता है।

उपचार

यह एक बहुत ही सामन्य सी समस्या है, और ज्यादा तर पुरूष अपने जीवन मे कभी न कभी इसका सामना जरूर करते हैं। अगर यह कभी कभार होता है, तो इसे लेकर चिंतित होने की जरुरत नही है। लेकिन अगर यह पिछले कुछ समय से लगातार हो रहा है तो ध्यान देना चाहिए। सही जानकारी और इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

प्रीमैच्योर इजेक्युलेशन के इलाज में कुछ ब्यवहारिक टेक्नीक का इस्तेमाल होता है|

स्टार्ट स्टॉप मेथड -इस तकनीक से सेल्फ कंट्रोल बढ़ाने में मदद मिलती है, सेक्स के दौरान जब पुरूष को लगता है कि वह इजेक्युलेट होने वाला है तो वह कुछ समय के लिए सेक्सुअल एक्टिविटी को रोक देता है, और जब लगे कि ऑर्गेज्म शांत हो गया है, तो फिर से स्टार्ट कर देता है

पेल्विक एक्सरसाइज- इस तरीके में पेल्विक मसल्स की कुछ छोटी छोटी एक्सरसाइज की जाती है, इनसे इजेक्युलेशन की टाईमिंग को बढ़ाया जा सकता है।

पॉज स्कूइज़ मैथड - इस तरीके में सेक्स के दौरान जब इजेक्युलेशन होने लगे तब आपके पार्टनर पेनिस के ऊपरी भाग (जहां से पेनिस प्यूबिक पार्ट से जुड़ता है) को पकड़ कर दबाते हैं, इससे ऑर्गेज्म की फिलिंग दूर हो जाती है। इस तरीके को कई बार दोहराने से भी फायदा होता है|

पेनिस पर सेक्स के 10 से 15 मिनट पहले कुछ एनेस्थेटिक क्रीम लगाने से भी टाइमिंग बढ़ जाती है।

कुछ ओरल दवाएं भी प्रीमैच्योर इजेक्युलेशन को ठीक कर सकती हैं। जैसे एन्टी डिप्रेशेंट, एनाल्जेसिक आदि।

साथ ही सिडनाफिल, टेडालाफिल का भी इस्तेमाल इसे ठीक करने के लिए सभी जगह होता है।

रेगुलर एक्सरसाइज और योग को अपनी डेली  लाइफ में शामिल  करने से भी बहुत लाभ होता है |


विशेष ध्यान रखें

प्रीमैच्योर इजेक्युलेशन को हराने के लिए आपको पहले डॉक्टर से मिलकर सही सलाह लेना चाहिए। तभी आपके लिए सही इलाज का चुनाव हो सकता है।


  • बिना चिकित्सक की सलाह के कोई भी दवा नही लेना चाहिए।
  • केवल मजे या टाइमिंग बढ़ाने के लिए अपने मन से दवाओं का प्रयोग नुकसान पहुंचा सकता है।
  • लोकल एनेस्थीसिया क्रीम का लम्बे समय इस्तेमाल करने से पेनिस में शून्यता और इरेक्शन में तकलीफ हो सकती है।