गोक्षुर एक महत्वपूर्ण वनस्पति है जो कि वर्तमान समय में मेडिसिनल उपयोग के साथ साथ डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में भरपूर प्रयोग हो रही है। इसका बॉटनिकल नाम ट्रिब्यूलस टिरेस्टिरिस (Tribulus terrestris) है, इसके अलावा इसे गोखरु, कैलट्रॉप, पंक्चर बाइन के नामों से भी जाना जाता है।

गोक्षुर जाइगोफिलेसि कुल का पौधा है, इसका क्षुप जमीन पर फैला रहता है, इसकी शाखाएं 60 से 90 cm लंबी चारों ओर फैल जाती हैं। इसके पत्ते छोटे छोटे चने के पत्तों की तरह होते हैं। इसका फूल छोटे पीले रंग के होते हैं, और फल छोटे और काँटेदार होते हैं। इसके फल के कांटे अत्यंत कठोर और नुकीले होते हैं, यहाँ तक कि सायकिल के टायर को पंक्चर कर देते हैं।

गोक्षुर समस्त भारत, यूरोप के कुछ हिस्सों, एशिया, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, ऑस्ट्रेलिया, और नार्थ अमेरिका में पाया जाता है।

गोक्षुरः शीतलः स्वादु बलकरः वस्ति शोधनः।                                                                     मधुरो दीपनो वृष्यः पुष्टिदायकः अश्मरीहरः।                                                                         प्रमेह श्वास कास अर्शः कृच्छः हृद्रोग वातनुत्।।

भाव. प्र.नि. श्लोक संख्या 45,46 पेज- 469
गोखरू - शीतल, स्वादिष्ट, बलदायक, वस्ति शोधक, मधुर रस युक्त, अग्नि दीपक, वृष्य, पुष्टि कारक होता है। यह पथरी, प्रमेह, श्वास, कास, अर्श, मूत्रकृच्छ, हृदय रोग तथा वात को दूर करता है। (वस्ति शोधक- यूरीनरी ब्लैडर को प्यूरीफाई करने वाला,अग्नि दीपक- डाइजेस्टिव कैपिसिटी को बढ़ाने वाला, वृष्य - सेक्सुअल पावर को बढ़ाने वाला, पुष्टि कारक- दुबलापन दूर करके हैल्थी बॉडी बनाता है। प्रमेह- पॉली यूरिया, श्वास- सांस लेने में कठिनाई, कास- खांसी, अर्श- बबासीर, मूत्रकृच्छ- डिफिकल्टी इन यूरीनेशन)

गोक्षुर के फल में एल्कलॉइड, 3.5 से 5 परसेंट स्थिर तेल, सुगंधित तेल, राल, टैनिन तथा कुछ मात्रा में ग्लाइकोसाइड, स्टिरोल, तथा नाइट्रेट होते हैं। इसके बाकी के पौधे में हर्मिन नामक एल्कलॉइड और सैपोनिन्स होते हैं।

मात्रा

गोक्षुर की मात्रा का निर्धारण उसके प्रयोग के अनुसार होता है, सामान्य रूप से गोक्षुर फल चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार ले सकते हैं।

गोक्षुर सत्व(एक्सट्रेस्ट) को 500 से 1000mg तक और इसके काढ़े को 50 से 100 ml तक ले सकते हैं।

उपयोग

गोक्षुर का उपयोग प्राचीन काल से होता चला आ रहा है। ट्रेडिशनल चायनीज मेडिसिन, और आयुर्वेद में इसकी रुट और फल का प्रयोग अनेक तरह की दवाओं के रूप में किया जाता है।

गोक्षुर एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट है, यह शरीर में पाए जाने वाले फ्री रेडिकल्स को तेजी से कम करता है, इसीलिए इसे एंटीएजिंग ड्रग के रूप में प्रयोग करता हैं।

 

गोखरु का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल पौरुष बढ़ाने वाली औषधि के रूप में होता आया है, लेकिन वर्तमान में कई गयी कंट्रोल्ड रिसर्च से पता चला है, कि बॉडी में टेस्टोस्टेरोन के लेवल पर गोक्षुर से कोई विशेष प्रभाव नही पड़ता| गोक्षुर का उपयोग सेक्सुअल समस्याओं जैसे कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, लो सेक्सुअल डिज़ायर, ऑर्गेज़म तक पहुंचने में कठिनाई, सेक्सुअल डिसकंफर्ट, तथा प्रोस्टेट एनलार्जमेंट, में किया जाता हैकिडनी सम्बंधित समस्याओं रीनल इन्फेक्शन, रीनल कैल्कुलई(पथरी) में भी यह लाभदायक है।

Medically reviewed by Rishabh Verma, RP