एक बढ़िया सा दिन था। ख़ुशनुमा मौसम। दिमाग़ में जैसा अक्सर कुछ कुछ चला करता है, चल रहा था। पुरानी यादों की किताब के पन्ने जैसे यूँ ही पलटे जा रहे हों। कुछ चेहरे, कुछ आवाज़ें, कुछ ख़ुशबुएँ गुज़र रही थीं बेमतलब ही। उनमें से एक कुछ उभरने लगी।


एक पुराने आकर्षण की, यह एक बेहतरीन सेक्स की रात का पन्ना था इस किताब में वो। और फिर दिमाग़ से एक मेसिज गया सीक्रेट एजेंट नाइट्रिक आक्सायड (nitric oxide) को।


अब नाइट्रिक आक्सायड के बारे में इतना जानिए की उसका एक ही काम था। तंत्रिकाओं (nerves) से निकल कर नीचे पीनस पहुँचना और वहाँ मिलना एक enzyme से जिसका नाम है guanlyl cyclase से। इन दोनो का साथ ऐसा हुआ करता है कि cGMP नाम का एक नया केमिकल बन जाता है।


इस भारी नाम वाले केमिकल से सेल्ज़ के अंदर का कैल्सीयम काम होने लगता है और पीनस की smooth muscles थोड़ा आराम में आ जाती हैं। इन मासपेशियों (muscles) के आराम में आने से, पीनस में ख़ून पहुँचाने वाली धमनियाँ (arteries) अब चौड़ी हो जाती हैं। अब, आप समझ ही गए होंगे, पीनस में ज़्यादा ख़ून पहुँचने लगता है। वो नसें जिन से ख़ून पीनस से वापस बाहर निकलता है छोटी होती हैं।


और कुल मुद्दा यह, की अब पीनस के अंदर ख़ून इकट्ठा हो जाता है। जो की बाहर इरेक्शन (पीनस खड़ा होने) की तरह दिखता है।


दिमाग़ में वही ख़याल चल रहे हैं। उस रात की यादें ताज़ा हो रही है। और नाइट्रिक आक्सायड निकल पड़ा है। इरेक्शन बड़ा हो रहा है।


मगर, अब यह इरेक्शन जाएगा कैसे? अगर यह नहीं गया तो आप समझ ही सकते हैं की कुछ समय बाद बड़ी दिक्कत हो सकती है। प्रकृति ने इसका इंतेज़ाम किया हुआ है।


अगर यह वक़्त क्लाइमैक्स के लिए (चाहें सेक्स हो या हस्त मैथुन) सही नहीं है, और दिमाग़ इस कहानी से हटता है—मान लीजिए फ़ोन बज जाता है, और दिखता है की लो, बॉस का कॉल है—तो अब बारी आ जाती है एक और एंज़ायम की। इसका नाम है फ़ोस्फोडाईएसटेरेज type 5 (प्यार से इसके दोस्त इसको PDE 5 बुलाते हैं)।


यह cGMP का ख़ात्मा करने में माहिर है (अगर भूल गए cGMP के बारे में तो ज़रा ऊपर फिर से देख लीजिए)। दिमाग़ अब कहीं और है (बॉस का फ़ोन, याद है ना?)

तो नाइट्रिक आक्सायड अब बन भी नहीं रहा।


PDE5 से लड़ाई में cGMP का पड़ला अब कुछ हल्का पड़ रहा है।


जो कैल्सीयम काम हुआ था पीनस में अब बड़ रहा है।


जो धमनियाँ चौड़ी हुई थीं, अब फिर संकरी हो रही हैं। पीनस के अंदर अब पहले से कम ख़ून आ रहा है।


और जो नसें पहले संकरी हो गयीं थीं, अब चौड़ी हो रही हैं। पीनस के अंदर से बाहर अब ज़्यादा ख़ून जा रहा है।


“हेलो! बॉस”


“अलविदा! इरेक्शन”