कुछ रोज़ पहले एक पुराने मित्र से मिलना हुआ। कॉफ़ी पीने गए हम लोग। बड़े परेशान लग रहे थे वो।

हमने पूछा कि बताओ भाई क्या हुआ है मगर हूँ हाँ के अलावा साहब कुछ बोल ही नहीं रहे थे। आधा घंटा इधर उधर की बात हुई। राजनीति, क्रिकेट, मौसम सब कुछ पर थोड़ी थोड़ी बातचीत हुई पर यह साफ़ था कि उनके मन में कुछ और ही चल रहा है। अब मित्रता पुरानी है उनसे, तो आख़िर हमने बोल ही दिया कि भाई, मुद्दे की बात करते हैं। तुम्हारे मन में कुछ चल रहा है, और यहाँ हम लोग अनमनी सी बातें कर रहे हैं।

कहा हमने, "बताओ बे। ऐसे कैसे? अब हमको ना बता सको ऐसा तो कुछ हो नहीं सकता।"

मित्र बोले, "हाँ भाई। कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो परम मित्रों से भी नहीं कर सकते।"

फिर क्या था।

हमने सुना दीं उनको चार पाँच गालियाँ (जिनको यहाँ लिखने का क्या फ़ायदा?)

गाली सुन कर तो दुखी से दुखी मित्र के चेहरे पर हँसी आ ही जाती है, सो उनके चेहरे पर भी आ गयी।

हँसी तो आयी ही, हिम्मत भी आ गयी।

अगली बार हमको बोलना नहीं पड़ा और उन्होंने कहा, "प्रॉब्लम यह है की लिंग में ढीलापन आ गया है।"

बोलने के बाद वो हमको कुछ यूँ देख रहे थे कि हम हँसेंगे।

खिल्ली उड़ाएँगे।

मगर इसमें कोई हँसने की, या खिल्ली उड़ाने की बात तो है नहीं। यह तो पुरुषों में होने वाली एक आम समस्या है।

अब किसी को निमोनिया हो जाए तो उस पर हँसते हैं क्या?

ख़ैर "लिंग का ढीलापन" कोई ऐसी समस्या भी तो नहीं की जिसका कोई हल ना हो।

फ़ोन पर ही जो काम किया जा सकता हो, उसको ले कर क्यों परेशान होना।

तो निकाला हमने अपना फ़ोन, और यह लिंक भेज दिया उनको WhatsApp पर। कह दिया उनको की भाई फ़ुर्सत से क्लिक कर लेना, और समस्या का हल मिल जाएगा।

अब आप यह जानिए कि उस दिन के क़रीब हफ़्ते भर बाद उनसे फिर बात हुई। आवाज़ में ख़ुशी थी।

हमने भी चुटकी लेते हुआ पूछा, "क्यों भाई, अब सब ठीक है?"

साहब गूँजती आवाज़ में बोले, "हाँ, अब सब ठीक है।"


तो आपका भी कोई मित्र है, जो "लिंग का ढीलपन" सोच सोच कर परेशान है तो उसको भी बोल दीजिए कि यहाँ क्लिक करे