एक ज़माने से, संभोग को हीन भावना से देखा जाता रहा है और यदि उससे भी बुरा कुछ माना जाता है, तो वह है हस्तमैथुन। लोगों का यह मानना है कि हस्तमैथुन करने से स्तंभन दोष की समस्या हो सकती है, किन्तु यह एक मिथ्या है। हस्तमैथुन एक आम एवं लाभकारी क्रिया है। सभी पुरुषों को अपने जीवन में कभी न कभी इरेक्शन प्राप्त करने में एवं बनाए रखने में समस्या होती है किंतु यदि यह समस्या लंबे समय तक या बार बार हो, तो इसे स्तंभन दोष कहा जा सकता है।
मिथ्या ज्ञान से सभी को हानि हो सकती है इसलिए आवश्यकता है कि सभी को सही तथ्यों का ज्ञान कराया जाए। तथ्य यह है कि हस्तमैथुन करने से स्तंभन दोष नहीं होता। हस्तमैथुन एक स्वाभाविक क्रिया है एवं इरेक्शन प्राप्त करने में इससे किसी भी प्रकार का खलल नहीं पड़ता। शोधों के अनुसार हस्तमैथुन एक बेहद ही आम क्रिया है, एवं हर उम्र के लोगों में यह क्रिया होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार 74 प्रतिशत पुरुष एवं 48 प्रतिशत महिलाएं हस्तमैथुन करते हैं। हस्तमैथुन करने से कई लाभ होते हैं जैसे तनाव कम होना, अच्छी नींद आना, आदि।
कई बार हस्तमैथुन करने के बाद सहसा इरेक्शन प्राप्त नहीं होता। इसे स्तंभन दोष न समझें यह मेल रिफ्रैक्टरी पीरियड कहा जाता है। मेल रिफ्रैक्टरी पीरियड, पुरुष के पतन करने एवं दोबारा इरेक्शन प्राप्त करने के बीच का समय अंतराल होता है।
सम्पूर्ण विश्व में इस विषय पर जितने भी शोध किये गए हैं, उनसे यह सिद्ध होता है कि हस्तमैथुन किसी भी रूप में स्तंभन दोष का कारण नहीं है। हालांकि, सेक्स करते समय या हस्तमैथुन के पश्चात इरेक्शन न हो पाने के अन्य कारण भी हो सकते हैं। स्तंभन दोष का एक मुख्य कारण आयु भी हो सकती है। 40 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में यह दोष आम हो जाता है एवं 40 प्रतिशत पुरुष इस रोग से पीड़ित पाए गए हैं। 40 वर्ष की आयु के बाद स्तंभन दोष होने का खतरा 5 प्रतिशत होता है, जो कि 70 वर्ष की आयु तक पहुंच कर 15 प्रतिशत हो जाता है।
स्तंभन दोष के कई अन्य कारण भी हैं, जैसे:
1.डाइबिटीज़ (मधुमेह)
2.मोटापा
3. हृदय रोग
4. मूत्रमार्ग से संबंधित समस्याएं
5.शराब का सेवन एवं धूम्रपान
युवाओं में स्तंभन दोष:
स्तंभन दोष विशेषतौर पर 40 वर्ष से ज़्यादा आयु के पुरुषों में पाया जाता है किन्तु वर्ष 2013 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 40 वर्ष से कम आयु लगभग 25 प्रतिशत पुरुषों में स्तंभन दोष पाया गया।
युवाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होने से उनमें स्तंभन दोष का खतरा कम हो जाता है। यदि उनमें यह दोष पाया जाए तो इसके कारण शारीरिक से ज़्यादा मानसिक होने की संभावना होती है। तनाव के चलते वे इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाते, एवं इस कारण उन्हें अधिक तनाव हो जाता है।
युवाओं में स्तंभन दोष के कुछ मुख्य कारण तनाव, बेचैनी, अवसाद, बाइपोलर रोग, मोटापा, अनिद्रा, मूत्रमार्ग की समस्या, मेरु रज्जु में आघात, प्रेम संबंधों में तनाव, परफॉर्मेंस एंगज़ाइटी आदि हो सकते हैं।