कुछ बातें ऐसी भी होती हैं कि कहने का मतलब तभी है जब सुनने वाले ने भी वही महसूस किया हो जो कहने वाले ने किया है।


सही समय पर इरेक्शन नहीं हो पाना, या सेक्स के वक़्त जल्दी क्लाइमैक्स कर जाना (शीघ्रपतन), ऐसी हो बातें हैं। मतलब मुद्दा सिर्फ़ साइयन्स का नहीं। हाँ, साइयन्स का एक अहम रोल है। लेकिन समझने वाला वो सही जिसने यह महसूस भी किया हो। इसी वजह से M! पर जो भी बातचीत होगी, जो भी इलाज बताए जाएँगे, उनको सिर्फ़ एक्स्पर्ट डॉक्टर ने ही नहीं बनाया। उनको बनाते वक़्त एक्स्पर्ट्स ने कई ऐसे लोगों से बात भी करी है जो इस तरह की समस्याओं का सामना कर चुके हैं। और सही इलाज पा कर ठीक भी हो गए हैं।


इसलिए, आश्वस्त रहिए।


उधर से एक मर्द (आप) अपनी बात कह रहे हैं। और इधर एक मर्द आपकी बात सुन कर आपको सही रास्ता बताने के लिए तैयार बैठा है।


यही है फ़ंडा मैन टू मैन का!