लिंग में पर्याप्त खड़ापन न आने की समस्या नपुंसकता कहलाती है। जब ये समस्या मनोवैज्ञानिक कारणों से हो- जैसे- तनाव, चिंता या डिप्रेशन आदि, तो इसे साइकोलॉजिकल इम्पोटेंस या साइकोलॉजिकल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहते हैं। ये एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में लोग बात नहीं करते हैं। यहां तक कि इसकी तरफ लोगों का ध्यान भी नहीं जाता है, जबकि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन दुनिया के 40% से ज्यादा पुरुषों की समस्या बनी हुई है।

फिजिकल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण शारीरिक होता है, जैसे- ज्यादा उम्र, दवाओं का साइड इफेक्ट, लिंग में खून का कम प्रवाह, कार्डियोवस्कुलर बीमारियां, डायबिटीज आदि। जबकि मनोवैज्ञानिक इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण मानसिक समस्याएं जैसे- रिश्ते में तनाव, किसी तरह की चिंता, अपराधबोध, बॉडी इमेज इशू, डिप्रेशन आदि है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा की गई एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि साइकोलॉजिकल कारणों से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या से दुनिया के 20% से ज्यादा लोग परेशान हैं। फिर भी इसके बारे में बात नहीं की जाती है।

मनोवैज्ञानिक नपुंसकता का कारण

ये समस्या किसी को भी कभी भी हो सकती है। हो सकता है कोई व्यक्ति अच्छी सुखद सेक्स लाइफ जी रहा हो और अचानक एक दिन उसे ये समस्या हो जाए। ऐसे में वो व्यक्ति तनाव में आ सकता है। वो अपने ही ख्यालों और चिंता में उलझ जाएगा और अपने पार्टनर के सामने शर्मिंदा महसूस कर सकता है। ऐसी स्थिति में बहुत सारे लोग यह समझ ही नहीं पाते हैं कि अच्छी खासी सेक्स लाइफ में अचानक ऐसा क्या हो गया, जो उन्हें इतनी बड़ी समस्या ने घेर लिया। मगर संभव है कि वो व्यक्ति मनोवैज्ञानिक नपुंसकता से गुजर रहा हो। आमतौर पर इसके निम्न कारण होते हैं।

परफॉर्मेंस एंग्जायटी

ऐसे पुरुष जो लगातार सेक्स के दौरान अपनी परफॉर्मेंस या स्टैमिना के बारे में सोचते रहते हैं, वो परफॉर्मेंस एंग्जायटी का शिकार होते हैं। ये एक तरह का डर है जो इस बात का होता है कि अगर मैं पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाया तो क्या होगा। कुछ लोग अपने लिंग के साइज या बॉडी टाइप को लेकर भी चिंतित रहते हैं। ये डर कई बार दिमाग पर इतना हावी हो जाता है कि व्यक्ति की सेक्शुअल क्षमता बहुत बुरी तरह प्रभावित हो जाती है और वो सेक्स के दौरान सचमुच कुछ नहीं कर पाता है।

अक्सर पुरुषों को ये चिंताएं सताती हैं कि क्या वे अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाएंगे, क्या वे लंबे समय तक बिस्तर पर टिक पाएंगे या कहीं उनके लिंग का साइज बहुत छोटा तो नहीं... आदि। आप जितना इस बारे में सोचेंगे, आपकी परफॉर्मेंस उतनी ही खराब होगी। दरअसल जब आप ज्यादा तनाव लेते हैं, तो आपका शरीर एड्रेनेलिन और कार्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करने लगता है। इस हार्मोन के कारण मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। ये सारी परिस्थितियां मिलकर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बनती हैं। अगली बार आप और ज्यादा चिंता करते हैं क्योंकि आप एक बार फेल हो चुके हैं। इस तरह ये चक्र बन जाता है, जिससे आप जल्दी बाहर नहीं निकल पाते हैं।

तनाव और चिंता

आज के समय में तनाव और चिंता इतनी आम बातें हैं कि हम इन्हें मानसिक परेशानी भी नहीं मानते हैं। घर, परिवार, नौकरी, पैसा, रिश्ते, बच्चे, खर्चे, समाज आदि न जाने कितने कुछ से आप घिरे हुए हैं, जो चिंता या तनाव का कारण हैं या बनते हैं। स्ट्रेस से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स बढ़ते हैं और ये खून में घुलने लगते हैं। इसी कारण से तनाव के समय व्यक्ति के लिंग तक खून पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है, लिंग खड़ा नहीं रहता है और सेक्स में परेशानी आती है।

डिप्रेशन

अवसाद यानी डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक समस्या है, जो आपकी सेक्स लाइफ को बुरी तरह प्रभावित करती है। रिसर्च बताती है कि डिप्रेशन के 75% से ज्यादा मरीजों की सेक्स लाइफ खराब हो जाती है। जब आप स्वयं अंदर से खुशी न महसूस करें, तो आप सेक्स को कैसे एंजॉय कर सकते हैं?

रिश्तों से जुड़ी परेशानियां

हर रिश्ते में छोटी-मोटी खिटपिट लगी रहती है। दिखने में ये छोटे-छोटे झगड़े आपके अवचेतन को प्रभावित करते हैं, जिसका परिणाम सेक्स के दौरान कई तरह की परेशानियां होती हैं क्योंकि व्यक्ति खुले मन से सेक्स का आनंद नहीं ले पाता है। अच्छे सेक्स और पर्याप्त उत्तेजना के लिए आप दोनों का एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान होना बहुत जरूरी है।

पॉर्न देखने की आदत

अगर खुद को संतुष्ट करने के लिए आप कभी-कभार पॉर्न देखते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन अगर आप इसे अपनी आदत बना लेते हैं, तो ये स्थिति बुरी हो सकती है। दरअसल लंबे समय तक पॉर्न देखने की आदत द्वारा आपका दिमाग एक खास लेवल तक न्यूरोकेमिकल होने पर ही उत्तेजित होने का आदी बन जाता है। ऐसे में जब आप रियल सेक्स करते हैं, तो बिना पॉर्न देखे आपको उत्तेजना नहीं आती है। इसके अलावा पॉर्न देखने वाले लोग अक्सर रियल लाइफ सेक्स से खुश नहीं होते हैं क्योंकि उनकी अपेक्षाएं और फैंटेसी रियलिटी से बहुत ज्यादा और अलग होती हैं। इसलिए पॉर्न देखने की लत भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बनती है।

अपराधबोध

किसी भी तरह का अपराधबोध सेक्स के दौरान व्यक्ति की परफॉर्मेंस को खराब करता है। अपराधबोध से ग्रस्त व्यक्ति का मस्तिष्क सेक्स पर केंद्रित नहीं हो पाता है। अच्छे सेक्स के लिए सही स्टैमिना और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के साथ-साथ एकाग्रता और अच्छा मूड भी चाहिए। अपने स्वयं के प्रति सम्मान न होना एक तरह की मानसिक समस्या है।

आत्म सम्मान की कमी

ब्राजील में हुए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार होते हैं, उनमें से 75% लोग आत्म सम्मान खो देते हैं। अगर आपको लगता है कि आप कम खूबसूरत हैं या आपका पार्टनर आपके रूप-रंग के आधार पर आपकी खूबसूरती को आंकेगा, तो इसे ही आत्म सम्मान की कमी कहेंगे। इसका असर भी लिंग के खड़े होने की क्षमता पर पड़ता है।

सेक्स की दिलचस्पी खोना

कई बार कुछ लोग सेक्स के प्रति अपनी दिलचस्पी भी खो देते हैं। या तो बहुत ज्यादा सेक्स करने के कारण वो इससे ऊब जाते हैं या अन्य किसी कारण से उन्हें सेक्स के नाम पर उत्तेजना नहीं आती है। इसका असर उनकी सेक्स लाइफ पर पड़ता है।

क्या हैं साइकोलॉजिकल इम्पोटेंस का इलाज?

हमने आपको शुरुआत में ही बताया था कि मनोवैज्ञानिक नपुंसकता से 20% से ज्यादा लोग परेशान हैं, लेकिन इसके बारे में लोग जानते नहीं हैं, इसलिए वो इसका इलाज भी नहीं कराते हैं। जो लोग इलाज शुरू करते हैं, उन्हें फायदा मिलता है। आमतौर पर साइकोलॉजिकल इम्पोटेंस का इलाज निम्न तरीकों से किया जा सकता है।

थेरेपिस्ट से बात करें

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन चाहे शारीरिक कारण से हो या मनोवैज्ञानिक, आमतौर पर लोग इसके बारे में किसी से नहीं बताना चाहते हैं। मगर यदि आप समस्या से निजात पाना चाहते हैं और अच्छी सुखद सेक्स लाइफ जीना चाहते हैं, तो आपको थेरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिए। ऐसी थेरेपीज आपको साइकोलॉजिस्ट, सेक्सोलॉजिस्ट, काउंसलर आदि के द्वारा मिल सकती हैं।

अपने पार्टनर से बात करें

अगर आपको पिछले कुछ समय से लिंग में खड़ेपन या शीघ्रपतन जैसी सेक्स समस्याएं हो रही हैं, तो इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने पार्टनर से बात करें। पार्टनर से बात करने पर आपका आत्म सम्मान बढ़ेगा, परफॉर्मेंस एंग्जायटी कम होगी और एक-दूसरे को समझने में मदद मिलेगी। अगर आप अपने पार्टनर को अपनी समस्याओं के बारे में बताएंगे, तो वो आपकी प्रॉब्लम को समझेंगे और हो सकता है कि वो आपकी मनोवैज्ञानिक दबाव से निकलने में कोई मदद भी कर पाएं।

अवास्तविक आशा या फैंटेसी न पालें

फिल्म या पॉर्न में दिखाए जाने वाले सेक्स और रियल लाइफ सेक्स में अंतर होता है। अगर आपने अपने पार्टनर से बहुत ज्यादा आशा पाल ली है, तो हो सकता है कि रियल सेक्स आपको उत्तेजित न कर पाए। इसलिए पॉर्न की आदत को छोड़ दें। कई बार कुछ लोग गलत अफवाहों के चक्कर में भी पड़ जाते हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट इन अफवाहों से भरा पड़ा है। इन अफवाहों और गलत सूचनाओं में सेक्स संबंधी अफवाहों की संख्या ज्यादा है। ध्यान दें कि आप सिर्फ उन्हीं बातों पर भरोसा करें, जिनका आधार सही है। इंटरनेट पर लिखी हर बात सही नहीं है। लिंग का साइज, शरीर का रंग, व्यक्ति के मसल्स आदि के बारे में अक्सर लोग अफवाह उड़ाते हैं, लेकि अच्छे सेक्स के लिए ये सब मायने नहीं रखता है। इसलिए अपने पार्टनर पर भरोसा रखिए और उनसे अपने बारे में उनकी राय पूछिए। अगर वो संतुष्ट हैं तो आपको किसी अन्य से इस बात की तुलना करने की जरूरत नहीं है कि आपकी परफॉर्मेंस कैसी है।

 

अगर मनोवैज्ञानिक नपुंसकता को ठीक करने के लिए आप दवाओं का सेवन करने की सोच रहे हैं, तो ये खतरनाक हो सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह के आपको कोई भी दवा नहीं खानी चाहिए। अगर समस्या है, तो रोजाना गोली खाने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए आपको डॉक्टर या थेरेपिस्ट से मिलकर सही जांच जरूर करानी चाहिए।

Medically reviewed by Rishabh Verma, RP