पार्टी के बेच में हम लोग बाल्कनी पर थे (सिगरेट पीने के लिए), तब उसने पूछा। पार्टी थी नए घर में शिफ़्ट होने की ख़ुशी में। विकास का बिज़्नेस सही चल रहा था और पिछले महीने ही उसने टोयोटा करोला ख़रीदी थी। और फिर यह घर। शास्त्री नगर की Cloud 9 बिल्डिंग में। यह बिल्डिंग शायद पूरे मेरठ में सबसे शानदार बिल्डिंग रही होगी। विकास को बहुत ख़ुश होना चाहिए था, मगर पूरी ही शाम वो थोड़ा अनमना सा ही लग रहा था।

वैसे तो हम लोग बहुत पुराने दोस्त थे, और दुनिया भर की बातों पर काफ़ी बहस किया करते थे, मगर यह सिगरेट सन्नाटे में ही निकल गयी थी, जब उसने यह वाक्य शुरू किया। "यार, तुम्हारे साथ कभी ऐसा हुआ है कि..."

और फिर सन्नाटा। सवाल पूरा नहीं हुआ था। सिगरेट ख़त्म हो गयी थी। ऐश ट्रे में बुझाते हुए, और मेहनत करते हुए उसने सवाल पूरा किया, "...कि सैक्स के वक़्त, खड़ा ही नहीं हुआ?"

उसने पूछ ही लिया। काफ़ी हिम्मत लगी होगी। मैं जानता हूँ कि क़रीब से क़रीब दोस्त से भी यह पूछना कितना मुश्किल होता है, क्योंकि हाँ, मेरे साथ ऐसा हो चुका था। मैं भी कुछ ऐसी ही कश्मकश में था। किससे पूछूँ। मेरठ में जवाब मिलेगा। या दिल्ली जाना होगा। मेरठ कोई बहुत बड़ा शहर तो है नहीं, लेकिन दिल्ली जा के भी क्या सही जवाब मिल जाएगा।

रोज़ इंटर्नेट पर सर्च करता था मैं उस समय कि सही जवाब क्या होगा और फिर मुझको जवाब मिल भी गया।

जैसा कि कई बार होता है, कि एक समस्या जो बहुत पेचीदा लगती है, उसका समाधान काफ़ी सरल, काफ़ी सिम्पल होता है अंत में। वैसा ही हुआ।

इस M! वेब्सायट पर पहुँचा। सैक्स समस्या पर क्लिक किया और यहाँ मेरठ में ही सही इलाज का पता चल गया। और सही दवा भी ऑर्डर हो गयी। तीन दिन में दवा मेरठ आ भी गयी। और हाँ, पाँचवे दिन सैक्स भी हुआ, बेहद शानदार।

तो विकास ने सही व्यक्ति से सवाल पूछा था। "हाँ, हुआ है मेरे साथ भी ऐसा, भाई", मैंने कहा, "पर परेशान ना हो, ज़रा फ़ोन देखो।"

मैंने यह लिंक WhatsApp कर दिया था।

"पाँच मिनट में तेरा काम हो जाएगा। पर चल, अभी अंदर चलते हैं, नहीं तो एक और जलानी पड़ेगी।"