शादी किसी भी समाज का नींव का पत्थर रही है, पर बदलते समाज में इसका महत्त्व भी बदल रहा है। भारतीय समाज अपने कृषि प्रधान और सयुंक्त परिवार से जुडी प्रथाओं से अब दूर होता जा रहा है. जहाँ सिर्फ कुछ दशक पहले एकल परिवार एक अपवाद था अब यही ज़रुरत भी है और चलन भी है। इस बदलाव का एक असर है भारतीयों में देर से शादी करना का प्रचलन। यह प्रचलन सिर्फ फैशन नहीं है इसके कुछ ज़रूरी कारन हैं जिनके बारे में हम आगे बात करेंगे :

१. शहरीकरण : अब पहले के मुकाबले ज़्यादा लोग शहरों में नौकरी कर के आजीविका चलते हैं। शहरों में रहने का खर्चा ज़्यादा होता है इसलिए लोग पहले थोड़ी तरक्की करते हैं और फिर शादी के बारे में सोचते हैं।

२. शिक्षा का महत्त्व : शिक्षा के बिना नौकरी भी नहीं मिलती और आज की ज़िन्दगी में बिना शिक्षा के दुनिया में पैर जमाना मुश्किल है, इसलिए लोग पहले पढाई करते हैं, और उच्च दर्जे तक पढाई करते हैं शादी करने से पहले।

३. आर्थिक स्वतंत्रता - अपना खर्चा खुद ही निकल लेने और  एकल परिवार या नौकरी के लिए अकेले रहने से लोगों को सामाजिक या पारम्परिक दबाव को ढकेल कर अपनी सुविधा अनुसार ज़िन्दगी के निर्णय करने की स्वतंत्रता मिली हैऔर लोग पहले अपने आप को आर्थिक रूप से और अच्छी तरह से स्थापित करने के लिए शादी देर से करना पसंद करते हैं।

४. बदलती सोच : जहाँ पहले ज़्यादातर लोग प्रेम और सेक्सुअल सम्बंधों को सिर्फ और सिर्फ शादी के बाद ही महसूस कर पाते थे, आज का समाज, शादी से पहले भी इसको होने देता है, हालांकि अभी भी यह मुंह दूसरी तरफ फेर के ही अनुमति है, लेकिन इस से लोग अब अपने अकेलेपन को मिटा लेते हैं और अपने आप को आर्थिक रूप से मज़बूत करने में लगे रहते हैं।

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