जैसन रोजर्स, एक विश्व स्तरीय तलवार बाज़, एक ओलम्पिक खिलाड़ी, अपने खेल के महारथी रहे। उनका नाम विश्व के सबसे प्रभावशाली एवं सफल पुरुषों की सूची में दर्ज है।

सन् 2004 का एथेंस ओलम्पिक, उनके जीवन का पहला ओलंपिक रहा। इस ओलम्पिक से उनकी एक एक तस्वीर प्रसारित हुई जिसमें वे अपने कन्धों पर विश्व  को संभाले हुए थे।


अपने इतालियन प्रतिद्वंद्वी से हारने के कुछ समय बाद जैसन रोजर्स भीड़ में से निकल कर एक बंद कमरे में पहुंचे और इस अकेलेपन में वे अपने आँसू नहीं रोक पाए।

उनके आंसुओं के पीछे छिपा था एक भारी दर्द, जिसे किसी चट्टान की तरह वे हमेशा अपने सीने पर ढोते रहे।

किसी भी व्यक्ति की किशोरावस्था उसके जीवन का निर्माण काल माना जाता है। किशोरावस्था में होने वाली घटनाएँ, हमे या तो आत्मविश्वास से भरपूर युवा बनती हैं या स्वयं पर से हमारा विश्वास हमेशा के लिए मिटा देती हैं।

अपनी किशोरावस्था के दौरान, जैसन रोजर्स कभी अपनी किसी महिला साथी के साथ यौन संबंध स्थापित नही कर पाए थे। न्यूज़ वीक को दिए एक इंटरव्यू में रोजर्स ने बताया कि कैसे व्यग्रता से ही व्यग्रता का जन्म होता है, और हम इस चक्र में फसते जाते हैं। आगे चलकर इसी व्यग्रता से आपके साथी आपको अकेला छोड़ देना बेहतर समझते हैं।अंतरंगता एवं अपने यौन जीवन के साथ रोजर्स के परिश्रम के चलते उनकी मर्दानगी पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठने लगे। न्यूज़ वीक के साथ इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि इस विषय में बात करने से उन्हें ऐसा महसूस होता है कि अब यह रहस्य उनके अंदर नहीं है और वे पहले से ज़्यादा ताक़तवर महसूस करते हैं।


वे कहते हैं कि अब उनका लक्ष्य है की वे यौन समस्याओं पर लोगों को खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें एवं इससे जुड़ी हीं भावना को उनके मन से दूर कर पाएँ। वे युवाओं को प्रेरित करना चाहते हैं और उन्हें स्वयं से एवं स्वयं के शरीर की कमियों से प्रेम करना सिखाना चाहते हैं। उनका मानना है कि हॉलीवुड एवं मीडिया जिस प्रकार के पुरुष एवं महिलाओं की छवि हमारे सामने प्रस्तुत करता है, हम खुद को भूलकर उनके जैसा बनना चाहते हैं। ऐसा होना मुश्किल है क्योंकि यह एक मिराज है जिसकी ओर हम आकर्षित हुए चले जाते हैं। सर्वगुण सम्पन्न एक भ्रम है।

किसी भी पुरुष का पौरुष उसके यौन जीवन की सफलता पर निर्भर नहीं करता एवं अपने यौन जीवन में असफल होने से उसका पौरुष काम नहीं हो जाता।


सन् 1999 में किये गए एक अन्वेषण के तहत ऐसा माना गया कि अमेरिका में 7 प्रतिशत युवाओं को इरेक्शन बनाए रखने में समस्या होती है। 30 प्रतिशत अमेरिकी युवा शीघ्र पतन से पीड़ित हैं। समलैंगिकों में यह समस्या और बढ़ी हुई पाई गई। ऐसा पाया गया कि गे पुरुषों में सामान्य पुरुषों के मुकाबले स्तंभन दोष की समस्या दोगुना देखी गई।विशेषज्ञ मानते हैं कि पुरुषों को आपस में इन विषयों पर चर्चा करनी चाहिए। ऐसा करने से समाज में सेक्स संबंधी समस्याओं के प्रति जागरुकता बढ़ेगी। अपने शरीर में उत्पन्न समस्याओं से घबराएं नहीं, अपने चिकित्सक से परामर्श लें।