केशर एक प्रभावशाली रसायन गुण धर्म वाली वनस्पति है। सैकड़ों वर्षों से इसका उपयोग शरीर में चुस्ती फुर्ती बनाये रखने और युवावस्था को लम्बे समय तक कायम रखने में किया जाता रहा है। आजकल भी हैल्थ को मेंटेन करने वाले ज्यादातर सप्पलीमेंट में केशर का प्रयोग किया जाता है।

केशर सामान्यतः एक सुरक्षित और साइड इफेक्ट रहित हर्बल प्रोडक्ट है। वैसे तो केशर को 1.5 ग्राम प्रतिदिन तक ले सकते हैं, परंतु हैल्थ बेनिफिट्स को पाने के लिए इसे 30 mg प्रतिदिन की मात्रा में लेना पर्याप्त हैं। आईये जानते हैं कि रेगुलर लाइफ में केशर के सेवन से किस तरह के लाभ मिलते हैं।

एन्टी एजिंग

केशर में पाए जाने वाले क्रोसीन, सैफरानॉल, कैम्फरोल आदि तत्व पॉवरफुल एन्टी ऑक्सीडेंट का कार्य करते है, ये शरीर को वृद्ध करने वाले फ्री रेडिकल्स, औऱ ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस से बॉडी की रक्षा करते हैं।

ये ब्रेन की सेल्स के क्रमिक क्षय की दर को भी कम कर देते हैं। जिससे मनुष्य के दिमागी क्षमता अच्छी रहती है। साथ ही केशर की सुगंध मूड इंहेन्सर का कार्य करती है, जिससे मेमोरी और लर्निंग एबिलिटी भी अच्छी होती हैं।

जानवरों पर की गयी कुछ स्टडी रिपोर्ट से सामने आया है कि केशर की एंटीऑक्सीडेंट क्वालिटी से ब्लड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी कम होता है और हार्ट डिजीज होने की सम्भावना भी नगण्य हो जाती है।

बढ़ती उम्र के साथ साथ आँखों की क्षमता कम होने लगती है, जिसे ऐज रिलेटेड मैक्यूलर डिजेनरेशन कहते हैं। इस तरह की स्थिति में केशर का रेगुलर उपयोग करने से लाभ मिलता है और मैक्यूलर डिजेनरेशन की दर कम हो जाती है।

डिप्रेशन

केशर के उपयोग से डिप्रेशन से निजात पाने में सहायता मिलती है। इस सम्बंध में एक स्टडी की गई, जिसमे डिप्रेशन के पेशेंट्स को 30 mg की मात्रा में केशर का सेवन कराया गया। ऐसा करने से रोगियों को जल्द ठीक करने में सफलता मिली।

कुछ अन्य स्टडी से यह सामने आया है कि केशर, डिप्रेशन में इस्तेमाल की जाने वाली अन्य दूसरी दवाओं के समान ही लाभदायक प्रभाव डालती है। हालांकि इस विषय मे अभी पूरी रिसर्च होना बाकी है।

वेट लॉस

सामन्य से अधिक वजन का बढ़ना कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है। लगातार कुछ न कुछ खाते रहने की आदत के कारण भी वजन बढ़ जाता है। केशर के नियमित इस्तेमाल से अत्यधिक भूख पर नियंत्रण होता है|  एक स्टडी में सामने आया कि जो लोग वेट लॉस के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनमें केशर का प्रयोग करने से, उनकी बार बार खाने की आदत कम होती है, साथ ही बॉडी मास इंडेक्स भी कम होने लगता है।

डाइबिटीज

डाइबिटीज के रोगियों में केशर का प्रयोग करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। खास तौर पर टाइप 2 डाइबिटीज में इसके उपयोग से ब्लड ग्लूकोज का स्तर कम होता है, और इंसुलिन सेंसिटिविटी भी अच्छी होने लगती है।

एन्टी कैंसर

केशर में पाए जाने वाले तत्व इसे कैंसर को दूर करने की क्षमता देते हैं। इस विषय एक स्टडी की गयी जिसमे कोलन के कैंसर में केशर के प्रभाव का परीक्षण किया गया। स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार केशर के उपयोग से कैंसर ग्रस्त सेल्स की ग्रोथ को कम करने और उन्हें नष्ट करने में सहायता मिलती है।

इसी प्रकार यह स्किन बोन मैरो, प्रोस्टेट, फेफड़ों, ब्रेस्ट आदि के कैंसर में भी लाभदायक है। कुछ दूसरी टेस्ट ट्यूब स्टडी से सामने आया कि केशर में पाया जाने वाला क्रोसीन नामक एंटीऑक्सीडेंट तत्व कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को कीमोथेरेपी के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। इस तरह उनकी जल्द ठीक होने में सहायता मिलती है}

फीमेल हैल्थ

महिलाओं में पीरियड के पहले अनेक तरह के शारिरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं, इन्हें सामूहिक रूप से प्री मैंस्ट्रुअल सिम्पटम कहते है। इनमें एब्डोमिनल क्रेम्प्स, चिड़चिड़ापन, सर दर्द, कमर दर्द आदि मुख्य होते है,अनेक तरह की स्टडी से सामने आया है कि केशर के नियमित सेवन से इन लक्षणों से बचने में हेल्प मिलती है।

एक अन्य स्टडी के अनुसार केवल 20 मिनट तक केशर की सुगंध लेने से भी इन लक्षणों से बचाव होता है, साथ ही बॉडी में स्ट्रैस हॉरमोन कोर्टिसोल का स्तर भी कम हो जाता है।.

कई बार गर्भवती में किसी कारण से ब्लीडिंग होने लगती है जो की हानिकारक हो सकती है ऐसी अवस्था में को उपयोग करने से शीघ्र लाभ  होता है |  एवं जिन  महिलाओं को पीरियड्स के समय अधिक ब्लीडिंग होती उनके लिए भी यह लाभदायक है |