उस दिन सुबह 6 बजे उठने के बाद मैं रोजाना के कामों में व्यस्त हो गई और वो कुंभकर्ण की तरह सोते रहे। जब मैं नहा कर निकली, तो देखा कि वो ब्रश कर रहे थे। मुझे उन्हें शर्ट के बिना देखना अच्छा लगता है। इसलिए नहीं कि उनकी बॉडी बहुत सेक्सी है, बल्कि इसलिए क्योंकि वो मेरी खुशियों का ख्याल रखते हैं। उन्हें पता है कि मैं सलमान खान की फैन हूं, मगर फिर भी वो अपनी बॉडी इमेज को लेकर निगेटिव नहीं हैं, क्योंकि वो जैसे भी हैं, मैंने उन्हें एक्सेप्ट किया है। हम दोनों ही तैयार होकर अपने-अपने काम पर चले गए।

फैमिली में कुछ इश्यूज की वजह से हमने पिछले एक हफ्ते से सेक्स नहीं किया था। मैं जानती थी कि साथ वक्त बिताने के लिए वो कितने बेकरार हैं। इसीलिए उस दिन हमने डिसाइड किया कि हम दोनों ही ऑफिस से थोड़ा जल्दी निकलेंगे, ताकि हम जल्दी लेट पाएं। रात को सारे काम निपटाने के बाद जब वो रूम में आए, तो हमारी बातें शुरू हुईं। मैंने उनसे कहा कि उन्होंने एक हफ्ते से प्यार नहीं किया, इसलिए मुझे लगा कि मैं हमारा रिश्ता सही नहीं चल रहा। उन्होंने मुझे समझाया कि ऐसी कोई बात नहीं है और मुझे गुजरे वक्त के बजाय अभी के 'मोमेंट' पर फोकस करना चाहिए।

हमने एक दूसरे को चूमना और प्यार करना शुरू किया, तभी मुझे अचानक फिल्म 'डर्टी पिक्चर' का एक सीन याद आ गया, जिसमें प्यार के दौरान विद्या बालन मुंह से अजीब सी आवाजें निकाल रही थी। मेरी नई-नई शादी हुई थी और मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था। इसलिए मैंने वो सीन उन्हें याद दिलाया और पूछा कि वो ऐसी आवाजें क्यों निकाल रही थी, जैसे उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है। पहले तो वो मुझ पर हंसे और फिर बताया कि इसका कारण 'ऑर्गेज्म' है।

मैंने 'ऑर्गेज्म' शब्द पहली बार सुना था। मैंने हंसी और भोलेपन में कहा कि क्या मैं भी ऐसा ऑर्गेज्म महसूस कर सकती हूं? उन्होंने हंसकर जवाब दिया कि ऑर्गेज्म का मतलब सेक्शुअल आनंद का चरम है, इसलिए इसे चरम-सुख कहते हैं। लेकिन ये हर महिला-पुरुष के लिए एक जैसा नहीं होता। इससे पहले कि मैं उनसे अगला सवाल करती, उन्होंने मेरे होंठ भींचे, एक लंबा सा किस किया और बोले कि वो मेरे बाकी सवालों का जवाब अगले दिन देंगे। हमने उस रात प्यार के पलों को खूब एंजॉय किया।

सेक्स के बाद वो सोना चाहते थे, मगर मेरे मन में ढेर सारे सवाल थे। मैंने उनसे कहा कि पत्नी को जागता हुआ छोड़कर वो सुकून से कैसे सो सकते हैं? तब हम दोनों उठकर बैठ गए और उन्होंने मेरे सभी सवालों का जवाब दिया।

उन्होंने बताया कि जब वो ऑर्गेज्म तक पहुंचते हैं, तो उनकी मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और लिंग से वीर्य का फव्वारा छूट जाता है, और फिर लिंग सुस्त हो जाता है। इसके बाद उनमें दूसरे ऑर्गेज्म की हिम्मत नहीं बचती है। मैंने कहा, मगर मेरी कामुकता तो एक ऑर्गेज्म के बाद भी नहीं खत्म होती। थोड़ी देर बाद ही मेरा शरीर दूसरे ऑर्गेज्म के लिए तैयार हो जाता है। तब उन्होंने मुझे बताया कि सेक्स के बारे में मेरी जानकारी कम है और ऑर्गेज्म के बारे में ज्यादा सोचने के कारण मैं इसे एंजॉय नहीं कर पाती हूं। इसलिए मुझे पहले यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि मुझे सेक्स के दौरान क्या ज्यादा आनंद देता है, इसके बाद ही वो ऑर्गेज्म और चरम-सुख के बारे को सही से एक्सप्लेन कर पाएंगे।

उन्होंने बताया कि ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो किस करने, कपड़े उतारने, साथ नहाने, सहलाने, बात करने या देखने भर से ही उत्तेजित हो जाते हैं और उनमें काम भावना जागृत हो जाती है। इसलिए सेक्स के दौरान इस बारे में बात करना जरूरी है कि पार्टनर को क्या पसंद है और क्या नहीं।

फिर उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें मेरे जूड़े में लगं हुए फूलों की खुश्बू नहीं पसंद है। मुझे उनकी ये ईमानदारी और सादगी अच्छी लगी, क्योंकि अब मैं सेक्स के दौरान ऑर्गेज्म के लिए पार्टनर्स की पसंद-नापसंद को समझने लगी थी।

 

अंत में सोने से पहले मैंने पूछा कि क्या ऊह...आह जैसी आवाजें निकालना अच्छे सेक्स की निशानी है? उन्होंने बताया कि अच्छे सेक्स के लिए ऑर्गेज्म जरूरी नहीं है। लेकिन इस तरह की आवाजें निकालने से पार्टनर का मूड सेक्स के लिए ज्यादा उत्तेजित होता है और दोनों को सेक्स के दौरान चरम-सुख तक पहुंचाने में उनका मस्तिष्क भी साथ देने लगता है। लेकिन चरम-सुख तक कैसे पहुंचेंगे, ये व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। इसका पता पार्टनर से पूछकर ही लगाया जा सकता है कि उन्हें क्या ज्यादा आनंद देता है।

Medically reviewed by Rishabh Verma, RP