इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) जिसे नपुंसकता या नामर्दी भी कहते हैं. यह एक ऐसा यौन रोग है जिसमें संबंध बनाते वक्त पुरुष का लिंग खड़ा नहीं होता. इसके चलते मर्द को अपनी शादीशुदा जिंदगी में कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. जैसे रिश्ते के टूट जाने की आशंका और अपनी पत्नी की आंखों में गिर जाने का डर. अगर आप पहले से ही दिल और दिमाग संबंधित रोगों से ग्रस्त हैं तो मुमकिन है कि ये रोग ही आपकी इस समस्या को बढ़ा रहे हों. जिन लोगों को ये रोग होते हैं उनमें नपुंसक होने की 80 फीसदी आशंका होती है. ये रोग हैं- हृदय रोग,  डायबिटीज या दिमाग संबंधी समस्या. इसके अलावा 10 फीसदी मामले आपके खयालात या महसूस करने की क्षमता पर निर्भर रहते हैं. नपुंसकता के इलाज में पिछले 200 सालों में तेजी से विकास हुआ है. पुरुषों के पास आज के समय में कई बेहतर इलाज मौजूद है. जिनके जरिए वे बेहतर नतीजे पा सकते हैं और संतोषजनक सेक्स जीवन व्यतीत कर सकते हैं.

The Best Way to Better Erections


नपुंसकता का इलाज पिछले 1000 सालों से ढूंढा जा रहा है. 8वीं सदी में प्राचीन रोम के लोग मुर्गों और बकरियों के गुप्तांगों से बनी हुई तावीजें पहना करते थे. उनका मानना था कि ये तावीजें एक दवाई के तौर पर काम करते हुए उनकी यौन क्षमता को बढ़ाएंगी. 13वीं सदी में एलबर्टस मैग्नस ने भुने हुए भेड़िए के लिंग को निगलने का सुझाव दिया और कहा है कि ऐसा करने से नपुंसकता को समाप्त किया जा सकता है.

फ्रांस में 16वीं और 17वीं शताब्दी में पुरुषों का नपुंसक होना अपराध समझा जाता था. साथ ही उस पुरुष का कानूनी तौर पर तुरंत तलाक करवा दिया जाता था. पहली बार 18वीं सदी की शुरुआत में विनसेंट मैरी मोनडाट ने वैक्यूम इरेक्शन डिवाइस जिसे पेनिस पंप (लिंग पंप) भी कहते हैं, बनाया. वैसे इससे बेहतर डिवाइस 1970 के दशक में गेडिंग्स ओसबोन ने बनाई. साल 1982 में FDA ने उस प्रोडक्ट को बाजार में बेचने की मंजूरी दे दी. इस प्रोडक्ट का नाम ErecAid है.

Breakthrough for Better Erections


जॉन आर. ब्रिंकले ने 1920 और 1930 के दशक में अमेरिका में पुरुष नपुंसकता के इलाज की शुरुआत की. उनके रेडियो प्रोग्राम में बकरे की ग्रंथि को ऑपरेशन से ट्रांसप्लांट का जिक्र किया गया और साथ ही "mercurochrome" नाम की दवा के सेवन की भी बात की गई. इस तरह से उन्होंने नपुंसकता को खत्म करने का दावा किया.

Better Erections at just 2,599!

1983 में ED की दवाई को और बेहतर बनाया गया. इस दौरान ब्रिटिश शरीर-क्रिया विज्ञानी जाइल्स ब्रिंडले ने यूरोडाइनामिक्स सोसोइटी के लोगों के आगे अपना पैंट नीचे कर दिया और अपने लिंग पर papaverine दवाई को लगाया और इस तरह से उन्होंने इस दवाई का प्रभाव से लोगों को अवगत कराया. जो दवाई ब्रिंडले ने अपने लिंग पर लगाई थी  वह छोटी रक्‍तवाहिकाओं को बड़ा करने वाली औषधि थी. वैसे जिस दवा का अविष्कार ब्रिंडले ने उस दौरान किया वह बाद के सालों में इसको लेकर बनाई जाने वाली अन्य दवाओं का आधार बनी.

Misters Bold on Amazon

जो मौजूदा समय में ED के लिए फर्स्ट-लाइन उपचार होता है जिसे PDE5 inhibitor कहते हैं, उसे साल 1999 में अमेरिका की Pfizer कंपनी ने विकसित किया था.