आप चाहे स्त्री हों या पुरुष, आपके अंदर पुरुषत्व एवं स्त्रीत्व दोनों ही प्रकार की ऊर्जाओं का एक संतुलन पाया जाता है। किसी समय में इस ऊर्जा का अनुपात ही आपका स्वभाव तय करता है। समय के साथ सभी में यह अनुपात बदलता है। इस संतुलन को प्रभावित करने वाले कई घटक होते हैं, जैसे- आपके आसपास के लोग, आपका काम एवं मौसम। कई बार आपके अंदर हो रहे हार्मोन्स का बदलाव भी इसके पीछे मुख्य कारण हो सकता है।
आइये जानते हैं कि किस तरह पुरुषत्व और स्त्रीत्व ऊर्जा का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण योगदान होता है।
क्या लिंग के भेद से इन ऊर्जाओं में अंतर आता है?
इस प्रश्न का उत्तर है "नहीं"। यह एक आम भ्रांति या गलतफहमी है कि आपका पौरुष आपके लिंग पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति, चाहे वो पुरुष हो या महिला, के शरीर में पुरुषत्व और स्त्रीत्व ऊर्जा का एक अनुपात उपस्थित होता है। कई व्यक्तियों में आम दिनों में पुरुषत्व ऊर्जा अधिक होती है मगर स्त्रीत्व ऊर्जा का कुछ अंश भी मौजूद होता है। ठीक इसी तरह किसी व्यक्ति में आम दिनों में स्त्रीत्व ऊर्जा अधिक होती है जबकि उसमें पुरुषत्व ऊर्जा का भी कुछ अंश मौजूद होता है।
स्त्रीत्व ऊर्जा के गुण
स्त्रीत्व ऊर्जा में सौम्यता होती है, अतः इसमें जल के गुण पाए जाते हैं। यह बेहद लचीले स्वभाव की होती है अर्थात स्थितियों के अनुकूल रहने का अनुसरण करती है। यह एक धारा में प्रवाह का समर्थन करती है। यह विरोधी नहीं होती। इस ऊर्जा में यह क्षमता होती है कि कि यह जिसकी भी इच्छा रखती है, उसे अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। यदि एक बार स्त्रीत्व ऊर्जा से भरपूर व्यक्ति निश्चित कर ले, की वह क्या चाहता है, तो फिर वह प्रवाह में आ जाता है एवं अपने लक्ष्य को हासिल कर के ही शांत होता है। अभिव्यक्ति इनके स्वभाव का एक अटूट हिस्सा है। यह इनकी पहचान भी है जो इन्हें औरों से अलग एवं खास बनाती है। यह बाकी ऊर्जाओं के मुकाबले निर्माणात्मक एवं रचनात्मक स्वभाव की होती है। किसी भी स्थिति में यह एक से अधिक मतों को समझने की शक्ति एवं समझदारी रखती है। यह काबिलियत पुरुषत्व ऊर्जा में नहीं होती।
पुरुषत्व ऊर्जा के गुण
यदि पुरुषत्व ऊर्जा की बात की जाए तो इसमें अग्नि की विद्यमानता मानी जाती है। यह ऊर्जा क्रियाशील होती है। यह तर्क एवं विचार पर कार्य करती है। इसमें सूर्य का अंश माना जाता है। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं एकाग्रता इनके कुछ अद्भुत गुणों में से एक हैं। इनके जीवन मे दिशा एवं लक्ष्य का बहुत अधिक महत्व है। यह अपने लक्ष्य को पाने हेतु एकाग्रचित्त होकर प्रयत्न करते हैं। जहां एक तरफ, स्त्रीत्व ऊर्जा पूर्वानुमान या पूर्वाभास के अनुसार कार्य करती है, वहीं पुरुषत्व ऊर्जा तर्क एवं तथ्यों को ज़्यादा मानती है। पुरुषत्व ऊर्जा दूसरों के प्रति सुरक्षा का भाव रखती है एवं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संकट से लड़ने की मनः शक्ति रखती है।जिस प्रकार सूर्य को चंद्रमा की ज़रूरत पड़ती है, उसी प्रकार पुरुषत्व ऊर्जा और स्त्रीत्व ऊर्जा का अनुपात मनुष्यों को कार्यरत रखता है।
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