26 अगस्त, सन् 1920 में 19 वां संशोधन प्रमाणित किया गया, जिसके तहत महिलाओं को मतदान करने का अधिकार दिया गया था। इस दिन की याद में, सन्    अमेरिकन कांग्रेस ने इस दिन को वोमेन्स इक्वलिटी डे के रूप में मनाया। इसका उद्देश्य सिर्फ महिलाओं के समान अधिकारों की खुशी मनाना नहीं था, किन्तु हर दिशा में उनके उद्धार के लिए सतत प्रयास करना भी था।


अमेरिका में आज भी लैंगिक असमानता के कई उदाहरण देखने को मिलते है। लिंग के भेद पर, विकलांगता के भेद पर, जाती भेद आदि कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा करना अनिवार्य है।


जातिगत भेदभाव पर चर्चा करते हुए डॉ पीटर सलविं ने कहा कि समानता के बिना उत्तमता प्राप्त करना नामुमकिन है। यह बात हमारे यौन जीवन पर भी लागू होती है। आपका यौन जीवन तब ही उत्तम बना रहेगा, जब आप यौन समानता में विश्वास रखेंगे। उनका मानना था कि अमेरिकी इतिहास में कभी भी महिलाओं की चरम सुख प्राप्ति को पुरुषों के मुकाबले कभी महत्व नहीं दिया गया।

पुरुषों को कमोतेजित करने के लिए पुरुष के लिंग को उत्तेजित किया जाता है, किन्तु महिलाओं को कमोतेजित करने के लिए क्लाइटोरिस को उत्तेजित किया जाना चाहिए ( लिंग प्रवेश के साथ या बिना)।

डॉ पीटर का मानना है कि हमारे समाज को "क्लिटरेट" बनने की आवश्यकता है, अर्थात हमें क्लाइटोरिस के विषय में जागरुकता लाने की आवश्यकता है, हमे यौन शिक्षा को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

हाल ही में किये गए एक सर्वेक्षण में बड़े ही चिंतित कर देने वाले आंकड़े सामने आए। इन आंकड़ों के अनुसार हर पचपन प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले केवल  चार प्रतिशत महिलाओं को चरम सुख (कामोत्तेजना) की प्राप्ति होती हएक अन्य सर्वेक्षण में माना गया कि सौ में से केवल 9 महिलाओं को चरम सुख की प्राप्ति हुई। इनमें से कुछ महिलाएं इस बात से अनभिज्ञ थीं, की महिलाओं को भी चरम सुख प्राप्त हो सकता है।

समय की आवश्यकता है कि हम महिलाओं के संदर्भ में अपने शब्दों को मर्यादित करें। हमें अपने समाज में यौन शिक्षा के अंतर्गत सभी पुरुषों को महिलाओं के विषय में शिक्षित करना अति महत्वपूर्ण है।

मुद्दा यह है कि इससे पहले की हम पुरुषों को महिलाओं के विषय में शिक्षित करें, हमे महिलाओं को उनके शरीर के विषय में, एवं उनके अधिकारों के विषय में शिक्षित करना होगा।

एक अच्छे यौन जीवन के लिए आवश्यक है कि पुरुष एवं महिला के बीच आपसी समझ एवं तालमेल हो, एक दूसरे की ज़रूरतों और इच्छाओं के प्रति दोनों जागरुक हों। इस प्रकार की आपसी समझ अर्जित करने के लिए दोनों पक्षों के बीच एक पारदर्शी वार्तालाप अत्यंत आवश्यक होता है।