लगभग सभी पुरुषों के मस्तिष्क में अपने लिंग की लंबाई से जुड़ा सवाल जरूर होता है। पुरुषों को लगता है कि उनकी मर्दानगी उनके लिंग की लंबाई से आंकी जाएगी। यही कारण है कि बाजार में लिंग की लंबाई बढ़ाने के लिए गोलियां, पंप, स्ट्रेच तकनीक एवं सर्जरी आदि का प्रचलन बढ़ रहा है। इस बीच कई पुरुष अपने लिंग को लेकर न सिर्फ असुरक्षित, बल्कि उलझा हुआ एवं व्याकुल पाते हैं। इससे न सिर्फ उनके आत्म सम्मान को क्षति पहुंचती है, बल्कि वे कई बार स्वयं को समाज से अलग कर के देखने लगते हैं। उनमें आत्म विश्वास की कमी भी नज़र आने लगती है एवं वे अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं।


क्या सचमुच मायने रखती है लिंग की लंबाई?

हालांकि जब बात सेक्स की हो, एवं अपने साथी को तृप्त करने की हो तो, ज्यादातर पुरुषों के मस्तिष्क में एक सवाल उमड़ता है, की क्या लिंग की लंबाई महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है?

यदि लिंग की लंबाई पर ध्यान दिया जाए, तो एक सामान्य पुरुष का लिंग आमतौर पर 3.5 इंच का होता है एवं इरेक्शन  के पश्चात यह 5.1 से 5.6 इंच तक लंबा हो सकता है। हालांकि जब पुरुष के लिंग की बात हो, तो लंबाई के साथ उसकी मोटाई भी मायने रखती है।


लंबाई या मोटाई, क्या है महत्वपूर्ण?

रोचक बात यह है कि कई महिलाओं के लिए पुरुषों के लिंग की लंबाई से ज़्यादा महत्वपूर्ण उसकी मोटाई होती है। एक सामान्य पुरुष के लिंग की मोटाई आमतौर पर 3.5 से 3.9 इंच (परिधि) के बीच होती है एवं इरेक्शन के पश्चात यह बढ़ कर 4.7 इंच तक पहुंच जाती है। ऐसा माना जाता है कि लिंग मोटा होने से सेक्स के दौरान वह स्त्री के क्लाइटोरिस पर रगड़ सकता है एवं स्त्री को चरम सुख की ओर ले जा सकता है।


कैसे बदला लिंग की लंबाई का ट्रेंड

अब सवाल यह उठता है, कि हमारे समाज को पुरुषों के लिंग की विषय में इतनी धुन कब सवार हो गई। पुरुष लिंग की उचित लंबाई के मापदंड समय के साथ बदलते रहे हैं। पुरातन ग्रीस में बड़े लिंग को दंड के तौर पर देखा जाता था। इसके पश्चात हम पाते हैं माइकल एंजेलो के डेविड की मूर्तियाँ जिनके लिंग की लंबाई कम थी किन्तु इनकी अंडकोष थैली (स्क्रोटम) बड़ी होती थी।

बड़ी अंडकोष थैली अच्छी प्रजनन शक्ति का प्रतीक थी एवं इसका काफी महत्व माना जाता था। इससे यह भी पता चलता था कि पुरुष में शुक्राणु बहुत अधिक संख्या में है। हालाँकि, अठारवीं सदी में जब पोर्न (वयस्क/ सेक्स संबंधी) फिल्मों का प्रचलन बढ़ा, तब आम पुरुषों की तुलना, पोर्न फिल्मों में दिखाए जाने वाले पुरुषों से होने लगी। आम पुरुषों से समाज की उम्मीदें बढ़ने लगीं। इससे न सिर्फ समाज को निराशा हाथ लगी, बल्कि पुरुषों का भी आत्म विश्वास टूटा एवं आज हम इसके परिणाम अपने आस पास देख सकते हैं।

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