भारत और इंडिया - कहने को यह पर्यायवाची हैं, दोनों एक ही देश के नाम हैं, लेकिन दोनों में फरक उतना ही है जितना माखन चुराने वाले कृष्णा और महाभारत में गीता सुनाने वाले मधुसुधन में।

यह दोनों जगह अक्सर सिर्फ एक शीशे के दरवाज़े के आर पार होती हैं और कभी एक साथ एक ही कमरे में।  India vs Bharat बस सोच और दृष्टिकोण का फरक है।  India उस सोच को दर्शाता है जो ज़्यादातर हमारे बड़े शहरों में रहने वाले लोगों में पाई जाती है, जो अक्सर शायद  English भी बोलते हों और पारम्परिक तरीका अब उनके ज़िन्दगी जीने का तरीका नहीं है। और दूसरी तरफ है Bharat जो उन लोगों से बना जिनके लिए उनकी परम्पराएं सबसे ज़्यादा मायने रखती और उनके अस्तित्व का अभिन्न अंग है, और अक्सर यह तरीका अपनी जड़ों से जुड़े लोगों का होता है जो शायद अमरीका में भी रह के आ गए हों।

यह फरक जिस जगह हमें सबसे ज़्यादा महसूस होता है वह हमारे सेक्स या लिंग और जेंडर के प्रति हमारे नज़रिये में है। जहाँ India की  महिलाएं आदमियों से कन्धा मिला के ज़िन्दगी के हर पहलु में बराबरी ले रही हैं, वहीँ Bharat में अभी भी कई लोग लड़कियों को पढ़ाई भी पूरी नहीं करने देते - सिर्फ कुछ रूढ़ि वादी सोच का हवाले से।

यह फरक अर्जुन उस दिन से महसूस कर रहा था जब से वह गुडगाँव कॉल सेंटर काम करने आया था। उसका घर पास हे रेवाड़ी में था, पिताजी बैंक में काम करते थे और उसको और उसकी बहन दोनों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाया था। बड़ी बहन भी काम करके अपना अस्तित्व बना चाहती थी पर उस से पहले ही उसके लिए अच्छा रिश्ता आ गया था तो उसकी २० साल की उम्र में शादी कर दी गयी थी। अर्जुन पढाई ख़तम करके वहीं सेल्स की जॉब करता था, उसकी एक गिर्ल्फ्रिएड भी थी जिस से वह घरवालों से छुप छुप कर बात किया करता था।  बड़ी मशक्कत के बाद वह २ साल में ४ बार उसके साथ कॉफी पीने आयी थी। और अब अर्जुन गुडगाँव में आ गया था।

यहाँ के ऑफिस में आते ही उसके होश उड़ गए थे। ऑफिस के बाहर लड़कियां सिगरेट पी रही होती थीं, कपड़े ऐसे होते थे जो गुडगाँव आने से पहले उसे लगता था की केवल फिल्मों में ही लड़कियां इतने छोटे कपड़े पहनती होंगी। ऑफिस की भीड़ में शायद लड़किया, लड़कों से ज़्यादा थी, यहाँ तक की उसकी बॉस भी लड़की ही थी, जो उसि के उम्र की थी, मिताली।

INDIA VS BHARAT - कितन फरक है वह यह ही सोचता रेहता था।

धीरे धीरे उसकी ऑफिस के लड़कों से दोस्ती हुई और वह INDIA का एक और रूप देख के दांग रह गया। जहाँ उसने अपनी रेवाड़ी की गर्लफ्रेंड के बारे में सिर्फ अपने जिगरी गोस्त को बताया था, यहाँ तो सब एक दुसरे को अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी यह भी बता रहे थे की वह कौन से OYO में कब गए थे। हालाँकि ज़यादातर बातें तो हवा हवाई होती थी, मगर कुछ तो सच थीं, उसके साथ बैठने वाला माधव, अपनी गर्ल फ्रेंड आयेशा के साथ लिव इन में रहता था और आयेशा भी इस बात को सबके सामने बोल चुकी थी।

अभी भी ठीक से समझ नहीं पा रहा था अर्जुन की लोग बिना शादी के अपनी सेक्स लाइफ के बारे में कैसे इतना खुल के बोल सकते हैं। थोड़ा हिचकिचिता था वह ऑफिस की लड़कियों से बात करने में, थोड़ी अजीब भावना से उनको देखता था, उसे लगता था की इनलोगों में कोई शर्म, हया या संस्कार नहीं हैं।

मिताली - उसकी बॉस, वही एक लड़की थी जो उसके सख्त पैमानों पे खरी उतरती थी। न वह सिगरेट पीती थी, न वह किसी लड़के के साथ बहुत ज़्यादा हंस हंस के बात करती थी और न ही वह छोटे कपड़े पहनती थी।  जब वह काम में कुछ ग़लती करती थी तब वह उसको अच्छे से समझती थी।  उसकी बहुत इज़्ज़त करता था अर्जुन।

समय और बीता और अर्जुन अब गुडगाँव में सेट हो गया था।  पूरे कॉन्फिडेंस के साथ बात करता था और अपने काम में भी माहिर था।  मितली की नज़रों में उसका ओहदा थड़ा बढ़ गया था।  वह खुश था, और  INDIA की अचंभित करने वाली कुछ लड़कियों से उसकी दोस्ती भी हो गयी थी। अब वह लड़कियां उसको उतनी ख़राब नहीं लगती थीं। BHARAT , मतलब रेवाड़ी, वाली गर्लफ्रेंड से बात अभी भी होती थी पर अब उसे हर बार मिन्नत करना थोड़ा खेलने लगा था। उसे लगता था क्या उसमे खुद में कुछ कमि  है ?

एक दिन  ऑफिस में पार्टी हुई और ऑफिस के सभी लोग उसमे आये, मितली भी थी। और कुछ ऐसा संजोग बैठा की वह दोनों काफी देर तक अकेले बात करते रहे।  मितली भी बियर पी रही थी। यह देख कर उसे थोड़ा अजीब तो लगा पर उसे मिताली बुरी नहीं लगी।  शाम और आगे बढ़ी और मितली ने उसको बोलै की वह उसको चाहती है।  मिताली की बात सुन के अर्जुन थोड़ा सा हाकपकाया, पर ज़्यादा नहीं, उसने भी मिताली को बोलै की यह भाव उसके भी हैं। यह ख्याल अर्जुन के मन में भी आया था पर उसने कभी यह मिताली की हिम्मत नहीं की थी - वह उसकी बॉस भी तो थी।

दोनों पार्टी से साथ ही निकले, बियर का सुरूर अभी भी था और टैक्सी की बैक सीट के अँधेरे में दोनों की नज़दीकियां थोड़ी और बढ़ीं।  फिर अर्जुन उसे घर छोड़ कर अपने रूम पे पहुंचा और सबसे पहले अपनी उत्तेजना को बाथरूम में शान्त करने गया। नाहा धो के, बिना उत्तेजना, शांत हो के बैठ के वह सोचने लगा। ऐसा तो, जिस BHARAT का वह अभी तक हिस्सा था,उसमे यह सब संभव ही नहीं था शायद। और अगर हो भी जाता तो शायद वह इस सब को एक गिरी हुई नज़र से देखता, मगर अभी भी मिताली उसकी इज़्ज़त के काबिल थी। मिताली ने पहल करि थी और इस बात से वह खुश था की उसको कोई चाहता है, उसको यह नहीं लगा की एक लड़की पहले कैसे आगे आ सकती है।आखिर वह भी तो एहि चाहता था, और अगर उसने पहल करि तो उसमे क्या बुरा है, वह मुझसे पीछे क्यों होनी चाहिये - क्या वह मुझसे किसी भी तरह से काम है।  

उसे प्यार था मिताली से। पहली बार जब वह सेक्स कर रहा था तब वह घबराहट में ठीक से कर भी नहीं पाया था, और मिताली ने इस बात पे उसको कभी छोटा महसूस नहीं होने दिया था।  बाद में तो ऐसी कभी ज़रुरत ही नहीं पड़ी की मिताली को कुछ कमि लगती।धीरे धीरे दोनों और करीब आने लगे थे, सेक्स भी कर चुके थे - और फिर भी अर्जुन मिताली के इज़्ज़त करता था। ऐसा अगर वह उस रूढ़ियों में बांध कर सोचता तो शायद न होता, पर वह खुश था, उसने INDIA और उसकी नयी सोच को अपना लिया था। और उसका प्यार उसके पास था। बिना मिन्नत, बिना किसी ग्लानि के, वह दोनों एक दुसरे के साथ खुश थे।  

फिर मिताली ने लिव इन की पेशकश करि। अभी अर्जुन समाज में, खुले आम, बिना शादी के रहने की लिए तैयार नहीं था। उन्होंने तो ऑफिस में भी किसी को नहीं बताया था। इस बात को लेके वह थोड़ा घबराया, उसे लगा की क्या मैं सही लड़की  हूँ ? क्या यह लड़की मेरे मापदंडों पे खरी उतरेगी ? क्या यह कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न है? क्या मैं इतना मॉडर्न हूँ ? इसी उधेड़ बन में कई रात वोह सोया नहीं, अपने रिश्ते की हर बात को कई नज़रियों से परख करने लगा। बहुत सोच कर उसको समझ आया की उसको असलियत में तो शायद सिर्फ यह बात बुरी लगी थी की इस बात की पहल एक लड़की ने की थी, एक लड़की ने समाज की परवाह किये बग़ैर अपने मन का काम करने की हिम्मत दिखाई थी। जो वह एक लड़का हो के नहीं जुटा पाया था। फरक सिर्फ उसके मेल ईगो की वजह से पद रहा था। वह इस नतीजे पे पहुंचा - अगर आदमी और औरत को सिर्फ इंसान समझ के देखा जाये तो यह इंसान जो चाहता है वह सही ही तो है। कभी कधार साथ रहने से ज़िन्दगी भर का अंदाजा तो नहीं मिलता। वह लोग एक दुसरे के बारे में सब कुछ तो नहीं जानते, तो ज़िन्दगी भर में क्या होगा यह कैसे जान सकते हैं?

इस सोच के साथ और इस सच्चाई के साथ कि वह मिताली के बिना नहीं रह सकता, वह उसके साथ रहने लगा - बिना शादी के। Bharat से India का सफर तय हो चूका था। और जब से उसने अपने कंधे से मर्दानगी झाड़ने का बोझ उतरा था उसकी  सेक्स लाइफ भी और बेहतर हो गयी थी। अब उसको यह दर नहीं था की वह कितनी देर टिकेगा, वह अब सिर्फ अपनी मिताली की बाँहों में खुशियां बटोरने में लगा था।

कितनी अलग थी यह 'INDIA VS BHARAT' की इस प्रतियोगिता में प्यार जीता, और एक लड़का जो सेक्स और सेक्स को बुरा और सेक्स लाइफ के बारे में हलके से भी सन्दर्भ पे शर्मा सा जाता था, जैसे वह एक फूल से पैदा हुआ हो, अब खुल के जी रहा था। सेक्स उसकी ज़िन्दगी का एक खूबसरत हिस्सा था, न की एक ऐसा हिस्सा जिसमे उसे अपनी मर्दानगी प्रमाणित करनी थी।