वैसे तो दुबे जी मित्र हैं। पर हैं वो हम सब के गुरु। किसी भी सांसारिक या आध्यात्मिक विषय पर उनका ज्ञान गहरा था। और बात समझाने का तरीक़ा अनोखा।

तो उस शाम, कई शामों की तरह हम लोग घूम रहे थे Shopprix Mall में। वैसे यह शाम कुछ ख़ास थी। बात हुई थी कि आज प्रमोशन की ख़ुशी में दुबे जी KFC में बर्गर खिलाएँगे, और मेरठ में पार्टी करने के लिए Shopprix Mall आना तो बनता ही है। कुछ दोस्तों के आने का इंतेज़ार था तो सोचा एक चक्कर मार लिया जाए मॉल का। "अच्छा ही है", मैंने सोचा। बहुत दिन से दिमाग़ में एक सवाल चल रहा था इन महानुभव से पूछने के लिए।

मगर साला सवाल ऐसा कि पूछने में बड़ी मेहनत लग रही थी।

फिर सोचा कि पूछ ही लेता हूँ।

"एक बात बताओ गुरु"

"हाँ, पूछो।"

"वो ना पिछली कुछ बार", अब आधे में चुप हो गया मैं।

"अबे पूछो। ऐसा क्या है?"

"यार, पिछले कुछ दिन से देख रहा हूँ कि सैक्स के वक़्त क्लाइमैक्स बड़ी जल्दी हो जाता है। लगता है शीघ्रपतन की बिमारी हो गयी है।"

कुछ बोलने के बजाय दुबे जी हँसने लगे।

"अरे, मैंने तो तुमसे इसलिए पूछा कि तुम मेरा मज़ाक़ नहीं उड़ाओगे। यह उम्मीद नहीं थी तुमसे", मैं काफ़ी परेशान हो कर बोला।

"अबे मैं इसलिए नहीं हंस रहा कि शीघ्रपतन हो गया है तुमको। मैं तो इसलिए हंस रहा हूँ कि जिस चीज़ का इतना आसान सा हल है उसको तुमने इतना सीरीयस बना दिया है।"

"आसान हल? दिल्ली में?", मैंने पूछा।

"दिल्ली नहीं, यहाँ मेरठ में हल है शीघ्रपतन का।", वे मुस्कुराते हुए बोले।

"मेरठ में कहाँ?"

"ठीक यहाँ, जहाँ हम हैं", वे फ़ोन पर कुछ करते हुए बोले।

"यहाँ? मेरठ के Shopprix मॉल में?", मैं स्तब्ध था।

"मॉल नहीं, तुम्हारी जेब में। WhatsApp देखो।"

मैंने देखा। उन्होंने WhatsApp पर यह लिंक भेजा हुआ था।

बोले, "क्लिक कर लो यह लिंक, और जब तक हम लोग KFC पहुँचेंगे तब तक तुमको जवाब भी मिल जाएगा।"

और वही हुआ, लिंक क्लिक करके कुछ आसान से जवाब आए। मैंने जवाब दिए। एक समाधान मिला। और उसमें जो समान था उसका वहाँ ही ऑर्डर भी दे दिए। और दो दिन में एक ऐसे डब्बे में दवा आ गयी कि बिना खोले कोई यह भी ना जान पाए कि डब्बे में क्या है।

डब्बा आने के कुछ रोज़ बाद दुबे जी फिर मिले। पूछा, "सब सही?"

और हाँ, सब सही हो गया था।

शानदार सैक्स कैसे किया जाए यह जवाब भी था गुरु के पास।

तो मैंने कहा, "गुरु, इस बार बर्गर मैं खिलाऊँगा।"