बर्गर, पिज़्ज़ा, चिप्स वे सारे व्यंजन जिन्हें हम अपने माता पिता से छुप छुप कर खाते थे, क्या आपने कभी सोचा था, की यह शौक कभी आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है?यदि आप भी बर्गर, पिज़्ज़ा आदि के शौकीन हैं, तो हो सकता है कि आपका यह शौक आपके शुक्र वीर्य को हानि पहुंचा रहा हो।

हालांकि हर व्यक्ति को अपने पसन्द के आहार का सेवन करने का अधिकार होता है किन्तु विज्ञान के अनुसार पाश्चात्य संस्कृति का भोजन करने से हमारे शरीर को कई प्रकार के नुकसान होते हैं किन्तु उनमें से सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह है कि इससे पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या घाट जाती है, जिससे उनमे निःसन्तानता उत्पन्न होती है। पाश्चात्य आहार के अंतर्गत मांस, शर्करा युक्त पदार्थ, चिप्स आदि आते हैं।

हार्वर्ड टी एच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ के द्वारा की गई गई एक रिसर्च के अंतर्गत कई लोगो के आहार की तुलना की गई। एक ओर शाकाहार का सेवन करने वाले पुरुष थे एवं दूसरी ओर ऐसे पुरुष थे, जो प्रोटीन एवं डेरी संबंधित उत्पादों का सेवन करते थे।

लगभग 18 से 20 वर्ष की आयु के 3000 पुरुषों पर किए गए इस शोध में यह निष्कर्ष निकाला गया कि जो पुरुष अपौष्टिक आहार, जैसे पिज़्ज़ा एवं बर्गर का सेवन करते थे, उनमें आम पुरुष के मुकाबले शुक्राणुओं की संख्या 25.6 करोड़ तक कम पाई गई। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशं के अनुसार शुक्राणुओं की संख्या यदि 39 करोगे तक है, तो इसे हम स्वस्थ वर्ग में मान सकते हैं।जो दम्पत्ति संतान प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उनकी इच्छा पूर्ति हेतु पुरुषो को यही हिदायत दी जाती है वे अपना खान पान स्वस्थ एवं पौष्टिक रखें एवं अपने आहार विहार पर खास ध्यान रखें जिससे वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएं, अर्थात सन्तान उत्पन्न कर पाएं।

यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड में कार्यरत प्रोफेसर एलेन पेसी ने अपने एक साक्षात्कार में बताया, की सभी व्यक्तियों के रोज़मर्रा के आहार विहार का सीधा असर उनके शुक्राणुओं की संख्या पर पड़ता है। जहां स्वस्थ आहार विहार से शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है, वहीं गलत या विकृत आहार विहार से शुक्राणुओं की संख्या घट जाती है। विएना स्थित यूरोपियन सोसाइटी ऑफ ह्यूमन प्रोडक्शन एंड एम्ब्रायोलॉजी ने भी शरीर मे शुक्राणुओं की संख्या पर आहार विहार से सीधा प्रभाव पड़ता है। उनके अनुसार आपके टेस्टिकल्स अर्थात अंडकोष को यदि सही रूप में पोषण न मिले तो वह सही रूप में शुक्राणुओं का निर्माण नही कर पाता जिससे उनकी संख्या में कमी आ जाती है। विशेषग्यों का मानना है की जंक अर्थात अपौष्टिक आहार में एन्टी ऑक्सीडेंट की कमी होती है। यह एंटी ऑक्सीडेंट अधिकतर नट्स, सीड्स, लेग्यूम, फल एवं सब्ज़ियों में पाए जाते हैजो पुरुष पौष्टिक आहार का सेवन  करते हैं, अर्थात ऐसा आहार जिसमें उचित मात्रा में एन्टी ऑक्सीडेंट हों, वे अधिक स्वस्थ रहते हैं,  एवं उनके शरीर में शुक्राणुओं की संख्या उचित मात्रा में होती है।  निःसन्तानता हमारे समाज में एक बड़ी समस्या के रूप में उजागर हो रही है। विशेषग्यों का मानना है कि इस समस्या से हमारी लड़ाई बड़ी है एवं इसकी शुरुआत हमारी रोज़ाना की आम आदतों से होती हैं। अपना खान पान पौष्टिक रखें एवं प्रजनन तंत्र को भी स्वस्थ रखें।

Medically reviewed by Rishabh Verma, RP