यूनाइटेड किंगडम के कई समाचार पत्रों में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक, माइकोप्लाज्मा जेनिटेलियम नामक एक यौन संचारित रोग, बीते कुछ वर्षों में उभरा है।


आमतौर पर इसके इलाज के तहत जो एंटीबायोटिक दी जाती हैं, के बार वे भी इस पर लाइलाज साबित होती हैं।


ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ सेक्सुअल हेल्थ एंड HIV में इस यौन संचारित रोग के विषय में लिखा गया, जिससे इसकी पहचान करना एवं इसका इलाज करना आसान हो जाए। किन्तु इसके इलाज के लिए यह जानना आवश्यक है कि मिक्रोप्लासमा जेनिटेलियम क्या है, इसके लक्षण क्या हैं एवं क्या यह रोग यूनाइटेड किंगडम के बाहर भी एक समस्या बना हुआ है।


माइको प्लाज्मा जेनिटेलियम जिसे एम जेन के नाम से भी जाना जाता है, एक बैक्टीरिया है। इस बैक्टीरिया को एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य के शरीर में यौन संबंधों द्वारा पहुंचाया जा सकता है। यह बैक्टीरिया आम तौर पर मनुष्य के मूत्र मार्ग एवं जनन पथ (जेनिटल ट्रैक) में उपस्थित होते हैं एवं शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।


इसकी उपस्तिथि से सर्विसाइटिस (सर्विक्स में सूजन), श्रोणि (पेल्विस) में सूजन एवं मूत्रमार्ग में सूजन देखने को मिलती है। पुरुषों के मूत्रमार्ग में भी इसकी उपस्तिथि से सूजन देखी जा सकती है।


सर्विसाइटिस से पीड़ित महिलाएं में दुर्गन्धित द्रव का स्त्राव, संभोग के समय पीड़ा एवं संभोग के समय रक्तस्रवन की समस्या होती है। इस प्रकार के यौन संक्रमित रोगों में  वेजाइना (महिला यौनि मार्ग) से असामान्य दुर्गन्धित द्रव का स्त्राव मिल सकता है, रक्त स्त्राव एवं ज्वर आदि कुछ इसके प्रमुख लक्षण हैं। इस रोग से महिलाओं में बांझपन भी देखने को मिल सकता है।


पुरुष के मूत्रमार्ग में इसके द्वारा संक्रमण होने से मूत्र विसर्जन के दौरान मूत्रमार्ग में जलन, एवं पुरुष लिंग से असामान्य दुर्गन्धित द्रव का स्त्राव देख को मिल सकता है।

हालांकि का व्यक्तियों में इसके संक्रमण के पश्चात भी किसी प्रकार के लक्षण देखने को नहीं मिलते।


इस व्याधि की खोज सन् 1980 में हुई थी। यह बैक्टीरिया आम तौर पर युनाइटेड स्टेट्स की जनसंख्या में पाया जाता है एवं क्लमेडिया केई तरह सम्पूर्ण विश्व में इसके रोगी कम ही मिलते हैं। किन्तु वर्ष 2015 में सेन्टर्स फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) द्वारा संपादित एक रिपोर्ट के अनुसार यह बैक्टीरिया, गोनोरिया व्याधि का कारण, निज़ेरिया गोनोरिया (एक अन्य बैक्टीरिया) की तुलना में ज़्यादातर जीव जंतुओं के शरीर के अनुसार स्वयं को ढाल सकता है एवं ज़्यादा संक्रमण फैला सकता कलीवलेण्ड क्लिनिक के जेयोबा गोज ने पिछले वर्ष एक मैगज़ीन के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि इस बैक्टीरिया "एम जेन" के द्वारा इतनी अधिक संख्या में लोगों में संक्रमण फैला पाने का कारण यह है कि बहुत समय तक इससे ग्रस्त लोगों को यह पता ही नहीं चल पाता कि यह उनके शरीर में मौजूद है।


काफी समय तक इसके लक्षण अव्यक्त रहते हैं इसलिए इसकी क्रियाओं का पता नहीं लग पाता किन्तु यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इसका संक्रमण नियंत्रण से बाहर होकर बढ़ने लगता है एवं कई अन्य व्याधियां जैसे सर्विसाईटिस, यूरेथ्राइटिस आदि का कारण बन सकता है।इसके इलाज के तहत डॉक्टरों द्वारा कई एन्टीबायोटिक दवाइयां दी जाती हैं किन्तु के बार यह दवाइयां भी बेअसर साबित होती हैं।