इन नतीजों ने शोधकर्ताओं में लाइकोपीन की मदद से पुरुषों के बांझपन का इलाज करने की उम्मीद जगा दी है. शायद इसीलिए लाइकोपीन को लेकर नए-नए शोध होने शुरू हो गए हैं। यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा कि लाइकोपीन पुरुषों के स्पर्म काउंट को बढ़ाने में किस हद तक मदद कर पाएगा।


हालांकि इतना ज़रूर तय है कि यह स्पर्म को सेहतमंद बनाता है और स्पर्म की सेहत को नुकसान पहुँचाने वाले तत्त्वों को दूर करता  इसीलिए अच्छा यही होगा कि लाल रंग की फल और सब्ज़ियों को देखकर चेहरा बनाने की जगह, मन ही मन उन्हें शुक्रिया कहें और उन्हें अपने खाने में शामिल करें।


शोधकर्ताओं ने शोध के आखिर में दोनों नमूनों के बीच तुलना की, तो उन्हें हैरान करने वाले नतीजे मिले। लाइकोपीन लेने वाले समूह के लोगों की स्पर्म की गिनती में कोई ख़ास बढ़त नहीं हुई, लेकिन अंडे तक स्पर्म के तैर कर पहुँचने की गतिशीलता में ज़बरदस्त बढ़त हुई और स्पर्म के उसके आकार में भी सुधार आया।



पुरुषों के स्पर्म काउंट में आ रही गिरावट फ़र्टिलिटी क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टरों के माथे पर चिंता की लकीर बन गया है। क्यों? क्योंकि एक नहीं बल्कि दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में की गई स्टडी की समीक्षा यही साबित करती हैं कि पिछले 40 सालों में पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। 4 दशक पहले तक जहाँ पुरुषों के सीमन या वीर्य के सैंपल में स्पर्म की गिनती 6 करोड़ थी, अब वह घटकर महज़ 2 करोड़ रह गई है। इसके अलावा, अमेरिका के एक स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ अमेरिका के लगभग 35 प्रतिशत जोड़े बांझपन से जूझ रहे हैं जिसकी एक बड़ी वजह पुरुषों में स्पर्म काउंट की कमी है। इस गिरावट को देखकर कुछ विशेषज्ञ यह अंदाज़ा लगाने लगे हैं कि मानव जाति जल्दी ही लापता हो जाएगी।



बुरी बात यह है कि स्पर्म काउंट यानी शुक्राणु की संख्या में आई कमी का सीधा-सीधा ज़िम्मेदार हमारा खान-पान है। जबकि अच्छी बात यह है कि खाने-पीने की कुछ चीज़ें ही स्पर्म काउंट की गुणवत्ता और संख्या को बेहतर बना सकती हैं, ख़ास तौर पर लाल रंग की सब्ज़ियाँ और फल। आइए, स्पर्म की सेहत और खाने की चीज़ों के प्राकृतिक लाल रंग के पीछे के विज्ञान को समझने की कोशिश करें।



शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के इस रिसर्च की अगुवाई करने वाली डॉक्टर लिज़ विलियम्स और उनके साथियों ने 12 हफ़्ते तक चले इस अध्ययन में 30 से लेकर 60 साल तक के 60 पुरुषों को शामिल किया।शोधकर्ताओं ने इन पुरुषों को दो समूहों में बाँट दिया शोध को शुरू करने से पहले इन पुरुषों के सीमन और ख़ून का नमूना लिया गया। उसके बाद एक समूह को एक गोली के तौर पर 14 मिलीग्राम लैक्टोलाइकोपीन (टमाटर प्यूरी के दो बड़े चम्मच के बराबर) दिया और दूसरे समूह को प्लेसबो दिया। शोध के आखिर में शोधकर्ताओं ने एक बार फिर से इन पुरुषों के सीमन और ख़ून का नमूना लिया गया।

टमाटर, तरबूज, पपीता और गुलाबी अंगूर जैसे फलों और सब्ज़ियों का प्राकृतिक लाल रंग लाइकोपीन की देन है। दरअसल लाइकोपीन एक फ़ाइटोन्यूट्रिएंट है। इसे पौधों से मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर देख सकते हैं।


एक रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि लाल रंग के फल और सब्जियाँ स्पर्म की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करते हैं।