आपने नोटिस किया होगा कि कुछ लड़कों की तरफ लड़कियां जल्दी और ज्यादा आकर्षित होती हैं। कई बार आप ऐसे लड़कों को देखकर हैरान भी होते हैं कि इन लड़कों में कुछ खास तो नहीं है, फिर ऐसा क्यों होता है? इस सवाल का जवाब पाने के लिए ही पेरिस में 76 पुरुषों पर एक छोटा सा अध्ययन किया गया। अध्ययन का निष्कर्ष आपको चौंका सकता है। इस अध्ययन के अनुसार कोई पुरुष महिलाओं को कितना आकर्षक लगता है, इसका सीधा संबंध उसके टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के लेवल से है। हैरानी हुई न! मगर इसी अध्ययन को आगे बल देती हुई एक अन्य रिसर्च हाल में सामने आई। इस रिसर्च के अनुसार किसी व्यक्ति के चेहरे का रूप और गठीलापन उसके टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन पर निर्भर करता है।


इस अध्ययन के लिए ज्यादा और कम टेस्टोस्टेरॉन वाले अलग-अलग पुरुषों के डिजिटल फोटोग्राफ के कुछ कंपोजीशन बनाए गए और जजों के एक पैनल के सामने रखा गया। जजों को इन फोटोग्राफ्स को गठीलेपन के अनुसार रेट करने को कहा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी जजों ने ज्यादातर उन पुरुषों के फोटोग्राफ्स को चुना था, जो हाई टेस्टोस्टेरॉन वाले पुरुषों के थे। इन दोनों ही अध्ययनों से इस बात को बल मिलता है कि पुरुषों को आकर्षक दिखाने में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का बड़ा हाथ है।


एक अन्य अध्ययन के अनुसार कोई भी महिला अपने लिए पुरुष का चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रखती है कि उसका लक्ष्य अल्पकालिक है या दीर्घकालिक। अगर महिला कम समय के लिए रिश्ता रखना चाहती है, तो वो ऐसे पुरुष को चुनती है, जिसका टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन ज्यादा हो। लेकिन अगर महिला लंबे समय तक रिश्ता रखना चाहती है और उसका लक्ष्य दीर्घकालिक है, तो वो ऐसे पुरुष को चुनती है, जो केयरिंग हो। अध्ययन के रिजल्ट के अनुसार महिलाएं चेहरे के हाव-भाव और गठन से ही पहचान लेती हैं कि पुरुष का पुरुषत्व (टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन लेवल) कितना है और वो कितना केयरिंग है।


स्त्री और पुरुष एक दूसरे को आकर्षित करना चाहते हैं। महिलाएं पुरुष में कॉन्फिडेंस, साहस और बुद्धिमत्ता तो देखती ही हैं, मगर Manhood in The Making के लेखक डॉ. डेविड गिलमोर के 20 साल के अध्ययन के विश्लेषण के अनुसार, महिलाएं 3P भी देखती हैं। ये 3P इस प्रकार हैं-


प्रोटेक्शन (रक्षा)

डॉ. गिलमोर के अनुसार महिलाएं ऐसा पुरुष चाहती हैं, जो उनकी और परिवार की रक्षा कर सके, यानी मुसीबत के समय काम आए। यहां भी टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन अपना फैक्टर दिखाता है। जिस पुरुष के शरीर में कम टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन बनता है, वो आमतौर पर चुनौतियों से जूझने में हाई टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन्स वालों से पीछे रहते हैं। उनमें शारीरिक बल और मानसिक कौशल दोनों ही अपेक्षाकृत कम हो सकता है।


प्रोक्रिएशन (प्रजनन)

प्रोक्रिएशन को हम किसी पुरुष के सेक्स करने या पिता बनने की क्षमता भी कह सकते हैं। महिलाएं ऐसा पुरुष चाहती हैं, जो उन्हें खुश रखे, सेक्शुअली संतुष्ट करे और उनके वंश को आगे बढ़ाने के लिए प्रोक्रिएशन यानी प्रजनन करे। इस क्षमता के लिए भी पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है। टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन सेक्स के दौरान बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी हार्मोन के कारण ही पुरुषों में हेल्दी स्पर्म बनता है और लिंग में खड़ापन आता है। जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का लेवल कम होता है, उनमें कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, शीघ्रपतन, कामुकता में कमी आदि।


प्रोविजन (व्यवस्था और जरूरतें)

परिवार को पालने और अगली पीढ़ियों को विकसित करने के लिए पुरुष को आर्थिक, भावनात्मक, धार्मिक और वित्तीय रुप से मजबूत होना चाहिए। ज्यादातर महिलाएं पुरुषों से ये सुरक्षा भी चाहती हैं। इसके लिए भी टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन काफी हद तक जिम्मेदार है। अगर किसी व्यक्ति में टेस्टोस्टेरॉन लेवल ठीक हो, तो उसके शरीर में एनर्जी लेवल अच्छा रहता है और वो मोटिवेटेड रहता है। जबकि लो-टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन वाले पुरुषों में एनर्जी और मोटिवेशन दोनों ही कम होते हैं, जिसके कारण वे अक्सर ऊपर बताए गए मामलों में पिछड़ जाते हैं।


अब आप समझ गए होंगे कि टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन पुरुष के जीवन में कितना महत्व रखता है।