किसी भी रिश्ते की मजबूती के लिए जितना ज़रूरी भावनात्मक जुड़ाव है उतना ही ज़रूरी शारीरिक संबंध का होना भी है। उम्र के साथ जैसे जैसे भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता जाता है, कई लोगों का यौन जीवन उतना ही ठंडा पड़ता जाता है। इसका मुख्य कारण है उनकी यौनेच्छा में कमी।
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा साठ से अधिक वर्ष की आयु की महिलाओं पर एक शोध किया गया।इस शोध का विषय था साठ वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में यौनेच्छा घटने के कारण जानना। मीनोपॉज के संबंध में संपादित एक लेख के अंतर्गत महिलाओं के साक्षात्कार बांटे गए। इन साक्षात्कारों में कई महिलाओं ने अपनी घटती यौनेच्छा के विषय में बात की।
इस शोध के तहत यह निष्कर्ष निकाला गया की महिलाओं की घटती यौनेच्छा का कारण उनके साथी के साथ उनके संबंध एवं साथी का यौन स्वास्थ्य भी हो सकता है।
पिट्सबर्ग के प्रोफेसर्स का भी मानना है कि महिलाओं के यौन स्वभाव पर उनके साथी का भी प्रभाव पड़ता है। यौन संबंधों के द्वारा जब दो व्यक्ति जुड़ते हैं तो उनमें भावनात्मक संबंध भी बन जाते हैं एवं एक दूसरे के जीवन से जुड़ी कई बातें उनके जीवन और व्यवहार पर असर करती हैंएक सर्वेक्षण में पाया गया कि साठ से अधिक वर्ष की आयु वाली महिलाओं में से चालीस प्रतिशत महिलाओं में घटती यौनेच्छा पाई गई एवं इनमे से दस प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में आए इस बदलाव से काफी व्याकुल थीं।
जब इस घटती यौनेच्छा के पीछे छिपे कारण पता करने की कोशिश की गई तो इस चेष्टा में लगभग पचास महिलाओं से चर्चा की गई। चर्चा में कई महिलाओं ने अपने यौन जीवन पर रोशनी डाली एवं यह निष्कर्ष निकाला गया कि महिलाओं में घटती यौनेच्छा के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- मीनोपॉज के पश्चात महिला की यौनि के लक्षण
- साथी पुरुष में स्तंभन दोष की समस्या
- शरीर में टूटने की सी पीड़ा
- आस पास के लोगों से मधुर संबंध न होना या कुछ अन्य प्रकार की चिंताएं
- अपने शरीर से खुश न होना
आश्चर्य की बात यह थी कि कई महिलाओं ने अपनी घटती यौनेच्छा का कारण अपने साथी पुरुष की यौन समस्याओं जैसे कि स्तंभन दोष को माना।
विशेषज्ञ मानते हैं कि क्योंकि महिलाओं को बहुत छोटी उम्र से ही दूसरों की भावनाओं को प्राथमिकता देने सिखाया जाता है, जब उनके साथी की यौन शक्ति घटती है, तब वे अपने साथी की खुशी के लिए अपनी इच्छाओं को दबाने लगती हैं और ऐसा करते करते उनकी यौनेच्छा भी खत्म होने लगती है।
कई शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कि महिलाओं में एक उम्र (मीनोपॉज) के बाद सेक्स हॉर्मोन्स की कमी हो जाती है एवं उनका स्त्राव भी घट जाता है। सेक्स हॉर्मोन कुछ हद तक हमारी यौनेच्छा को नियंत्रित करते हैं अतः इनकी मात्रा में कमी आने से महिलाओं की यौनेच्छा में भी कमी आ जाती है।
अपने सारे कर्तव्यों से निवृत्त हो चुकी महिलाओं ने सेक्स को प्राथमिकता देने से इनकार कर दिया। उनका मानना था कि उनका प्रेम संबंध किसी भी शारीरिक संबंध का मोहताज नहीं है एवं उन्होंने अपने यौनजीवन को इतना महत्व देना ज़रूरी नहीं समझा।