कामुकता जिन चीजों से प्रभावित होती है, उनमें आमतौर पर तनाव, एल्कोहल, थकान, डिप्रेशन और कुछ दवाओं को मुख्य कारण माना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि आपकी सेक्स की इच्छा और कामुकता मौसम और जलवायु पर भी निर्भर करती है? जी हां, एक ताजा शोध में पाया गया है कि बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर हमारी कामुकता पर भी पड़ता है।

नैशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्थ रेट पर असर पड़ रहा है। 2015 में किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि यूएस में जब भी तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंचा है, उसके 9 महीने बाद बच्चे पैदा होने की गति में 0.4% की कमी आई है। यूएस की बात करें तो साल में ऐसे लगभग 30 दिन आते हैं, जब तापमान 27 डिग्री या इससे ऊपर चला जाता है। मगर बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल्द ही ऐसे गर्म दिनों की संख्या बढ़कर 90 के लगभग हो जाएगी। ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्मी के दिन बढ़ने पर सिर्फ यूएस में ही हर साल लाखों की संख्या में बच्चे कम पैदा होंगे।

गर्मी और प्रजनन में क्या संबंध होता है, आइए इसे जरा और स्पष्ट करके समझते हैं।

कामुकता घटती है

दिन गर्म होने पर जब आप पसीने और गर्मी से जूझ रहे होते हैं, तो आपकी सेक्स करने की इच्छा में गिरावट आती है। इसका एक कारण ये हो सकता है कि गर्मी आपके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का लेवल कम कर देती है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में इस हार्मोन का लेवल कम होगा, तो उसे कामुक ख्याल कम आएंगे और सेक्स करने की इच्छा भी कम होगी। सेक्स के दौरान शरीर का तापमान वैसे ही बहुत अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में अगर बाहर का माहौल भी गर्म हो, तो सेक्स करना आसान नहीं होता है। लगातार बहते पसीने के कारण सेक्स करने का आनंद भी कम हो जाता है, इसलिए लोग गर्मियों में सेक्स कम करते हैं।

पुरुषों के शरीर की रचना

कामुकता की कमी के अलावा पुरुषों के शरीर की रचना भी गर्म दिनों में उनकी प्रजनन क्षमता घटा देती है। दरअसल गर्मी बढ़ने पर व्यक्ति का स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों घटते हैं। तापमान के नियंत्रण की दृष्टि से ही अंडकोष को शरीर के बाहरी हिस्से में बनाया गया है, ताकि उसका तापमान शरीर से 2 डिग्री सेल्सियस कम रहे और शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए सही माहौल मिल सके। ऐसे में जब मौसम में गर्मी बढ़ती है, तो आपका शरीर अपने आप ही स्पर्म का प्रोडक्शन कम करने लगता है। स्पर्म कम बनेगा, तो प्रजनन की क्षमता भी घटेगी।

महिलाओं के शरीर की रचना

सिर्फ पुरुषों ही नहीं, महिलाओं के शरीर की रचना भी उन्हें हर समय गर्भवती होने की आजादी नहीं देता है। पुरुष का शरीर हर समय स्पर्म बना सकता है, जबकि महिलाओं का शरीर महीने में एक बार ही अंडा निषेचित करता है। उस पर भी उसके फर्टिलाइजेशन की समय सीमा बहुत कम होती है (लगभग 7 दिन)। ऐसे में अगर उन 5-7 दिनों में मौसम बहुत गर्म हो, तो वैसे ही कामुकता कम हो जाती है।

 

टुलेन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एलेन बरक्का के अनुसार एक अध्ययन तो यह भी बताता है कि व्यक्ति की प्रजनन क्षमता पर गर्मी का असर ऐसा पड़ता है कि कई मामलों में गर्मी जाने के 1-2 महीने बाद ही शरीर वापस फर्टाइल हो पाता है। हालांकि अन्य कई एक्सपर्ट्स बताते हैं कि प्रजनन में कमी के लिए सिर्फ गर्मी को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसमें व्यक्ति का काम, उसकी जीवनशैली, गर्भनिरोधक उपाय आदि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि गर्मी के मौसम में ज्यादातर समय घर के भीतर रहकर, एसी और अन्य तरीकों का सहारा लेकर कपल्स अपने लिए सेक्स और प्रजनन का सही माहैल बना सकते हैं।

Medically reviewed by Rishabh Verma, RP

climate sex and libido