टेस्टोस्टेरॉन का लेवल व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण रोल निभाता है, खासतौर पर एक पुरूष की लाइफ में ये एक जरूरी चीज है। यह हॉर्मोन न केवल शक्तिशाली मसल्स और मजबूत बोन्स के साथ अच्छा शरीर बनाने में मदद करता है, बल्कि आपके स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए भी आवश्यक है। टी लेवल कम होने से अनेक समस्याएं आने लगती हैं, जैसे डिप्रेशन, सेक्स ड्राइव में कमी, मोटापा, ओस्टियोपोरोसिस।
आमतौर पर टी लेवल उम्र के साथ कम हो जाता है। लेकिन फिर भी आप इस कमी को अपने नियंत्रण में रख सकते हैं। टी लेवल को अधिकतम रखने से मांसपेशियां मजबूत रहतीं हैं, आप फिजिकली एक्टिव और फिट रहते हैं, बेहतर सेक्स ड्राइव का आनंद ले सकते हैं, साथ ही मेमोरी भी अच्छी रहती है। सामन्यतः जो लोग टी लेवल की कमी का सामना करते हैं, वे विकल्प के रूप में सिंथेटिक टेस्टोस्टेरॉन या स्टेरॉयड का सेवन करते हैं। यह एक ध्यान देने की बात है कि स्टेरॉयड का सेवन करने से आपकी हैल्थी लाइफ में बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। इसीलिए इस तरह की दवाओं का चयन करने के स्थान पर नेचुरल रास्ते का चुनाव करना हमेशा सुरक्षित रहता है|
एक खास तरीके से वर्कऑउट करने से टेस्टोस्टेरॉन लेवल को नेचुरली बूस्ट करने मे मदद मिलती है, ध्यान रखें कि कुछ वर्कऑउट ऐसे भी हैं जिनका उल्टा प्रभाव पड़ता है। इनके करने से टी लेवल और भी कम हो सकता है, आपको कभी भी इनको नहीं करना चाहिए। यहां हम ऐसे वर्कऑउट के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करने से आप अपने हॉर्मोन्स को बूस्ट कर सकते हैं। साथ ही इनके करने से आपको किसी भी तरह के हैल्थ इशू का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
लिफ्टिंग
आमतौर पर जो लोग अपनी मसल्स को बढ़ाना या फिर मेन्टेन रखना चाहते हैं, वे वेट लिफ्टिंग करते हैं। यह एक सच्चाई है कि, डेड लिफ्ट, बारबेल थ्रस्टर, बेंच प्रेस, या स्काटस करने से टी लेवल बूस्ट होता है। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि हमेशा उतना ही वजन उठाएं जितना आप सम्हाल सकें, कभी भी ऐसा कुछ न उठाएं जो आपकी क्षमता से बाहर हो।
स्प्रिंट
स्प्रिंट एक दूसरी एक्सरसाइज है जो कि आपके टेस्टोस्टेरॉन लेवल को नेचुरली बूस्ट करती है। 5 से 10 स्प्रिंट का एक सेशन आपके डेली वर्कआउट के लिये अच्छी शुरुआत हो सकती है। एक स्प्रिंट को 15 सेकेंड से ज्यादा टाइम तक नहीं करना चाहिए, और हफ्ते में 2 से 3 बार तक स्प्रिंट वर्कआउट करना अच्छा रहता है।
रैप्स को बढ़ाइए
किसी भी एक्सरसाइज को करते समय सही तरीके से रैपिटिसन्स करना फायदेमंद होता है। आपको फिट रखने के लिए 5 रेपिटिशन्स काफी हैं, लेकिन आगर आप इन्हें बढ़ाकर 8 से 10 रैप्स एक दिन में कर सकें तो यह आपके टेस्टोस्टेरॉन लेवल को क्रमिक रूप से बढ़ाएगा। इस तरह के वर्कआउट को करने में आप सेट को पूरा करने के लिए कोशिश करते हैं, ताकत लगाते हैं, इसीलिए इसे फोर्स्ड रैप वर्कआउट भी कहते हैं। इसे करते समय पार्टनर या फिर ट्रेनर के साथ होने से वे आपका उत्साह बढ़ाते रहते हैं।
इंटेंसिटी बनाये रखें
जब आप वर्कआउट कर रहे होते हैं, आपकी मसल्स हाई प्रेशर और इंटेंसिटी (तीव्रता) की अवस्था में होती हैं। और इस समय आपका टी लेवल तेजी से बढ़ता है। इसीलिए ध्यान रखें कि आप वर्कआउट में गतिशीलता बनाये रखें। वेट उठाते समय सही
स्टान्स का होना आवश्यक है। ना तो बहुत ज्यादा तेज और न ही बहुत अधिक धीमे करना है, लेकिन आपका वर्कआउट हाई इंटेंसिटी होना चाहिए।
अपना रेस्ट टाइम बढ़ाएं
अपने तीव्र वर्कआउट सेशन के बीच आपको स्वाभाविक रूप से ब्रेक लेने की जरूरत होती है। इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि, अगर आप टेस्टोस्टेरॉन लेवल को बढ़ाने के लिए वर्क कर रहे हैं तो आपको लगभग 120 सेकेंड लंबा ब्रेक लेना आवश्यक है। इस ब्रेक से आपका शरीर ठंडा हो जाता है और आप दूसरे इंटेंस वर्कआउट सेशन के लिए तैयार हो जाते हैं। अगर आपको लगता है, ये दो, तीन मिनट समय की बर्बादी है, तो आप इस दौरान बहुत हल्की जैसे स्ट्रेचिंग जैसी एक्सरसाइज चुन सकते हैं।
कार्डियो से बचें
रेगुलर कार्डियो एक्सरसाइज करने से टेस्टोस्टेरॉन के लेवल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर आप मैराथन दौड़ के शौकीन नही हैं, तो लम्बे समय तक साइकिलिंग और ट्रेडमिल करना आपके लिए नहीं हैं। ये आपकी बॉडी में टी लेवल कम करके आपकी स्पीड को बढ़ाने का काम करते हैं। हमारी सलाह है कि अगर आप हॉर्मोन्स को बूस्ट करना चाहते हैं तो, आपको कार्डियो की जगह ऊपर दिए विकल्पों के चयन करना चाहिए|
साथ ही इसके लिए केवल एक्सरसाइज से ही पूरी बात नही बनती आपको सही और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का प्रयोग करना चाहिए।