क्या एंटी-डिप्रेसेंट इरेक्टाइल डिसफंक्शन को दूर करने में मददगार हो सकती हैं? इसी सवाल को सुलझाने की कोशिश में जुटी क्लिनिकल स्टडीज़ के नतीजों ने आखिरकार इस पर विराम लगा दिया है।


इन स्टडीज़ का मेटाडेटा एंटी-डिप्रेसेंट से जुड़ी बड़ी रोचक बात सामने लाता है कि प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन यानी शीघ्रपतन के मामले में स्लेक्टिव सेरोटोनिन रिअपटेक इन्हेबिटर यानी SSRI एंटीडिप्रेसेंट दूसरे एंटी-डिप्रेसेंट से कहीं ज़्यादा असरदार साबित होती हैं। यही नहीं, यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज के लिए सबसे अहम दवा है। लंबे समय तक हर दिन SSRI एंटी-डिप्रेसेंट की थोड़ी खुराक लेने से प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन या सेक्स के समय जल्दी क्लाइमैक्स पर पहुंच जाने की परेशानी कम होती चली जाती है।


प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन पुरुष में सेक्स से जुड़ी सबसे आम परेशानी है, लेकिन अब तक इस परेशानी को मापने का कोई मान्य स्क्रीनिंग इंस्ट्रूमेंट मौजूद नहीं है। हालांकि, अलग-अलग सर्वे के हिसाब से लगभग 20% से 30% फ़ीसदी पुरुष प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन की परेशानी झेल रहे हैं। रिसर्च और स्टडीज़ क्या कहती हैं?


अमेरिका की वेन स्टेट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑव मेडिसिन साइंस की रिसर्च के मुताबिक SSRI एंटी-डिप्रेसेंट प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के मरीज़ों के लिए एक नए असरदार इलाज के तौर पर सामने आई है, फिर चाहे मरीज़ डिप्रेशन का शिकार हों या न हों। क्लोमिप्रमीन, फ्लुओक्सटीन, पेरॉक्सेटिन और सेराट्रलिन प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के उन मरीज़ों के इलाज का एक सुरक्षित विकल्प है जिनके मामले में साइकोलॉजिकल थैरेपी और काउन्सलिंग नाकाम हो गई। साथ ही, ये प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन की तकलीफ़ झेल रहे उन लोगों के इलाज में भी काफ़ी कारगर साबित होती हैं जिंनके साथी इलाज में सहयोग करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। दूसरी एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं, जैसे बेंजोडायजेपाइन भी प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के कुछ मामलों में असरदार साबित हो सकती है।


SSRI एंटी-डिप्रेसेंट कैसे काम करती हैं? दरअसल डिप्रेशन और मानसिक सेहत से जुड़ी परेशानियों के इलाज के लिए SSRI एंटी-डिप्रेसेंट, जैसे फ्लुओक्सटीन, पेरॉक्सेटिन और सेराट्रलिन का इस्तेमाल किया जाता है। पुरुषों में इन दवाओं के साइड इफेक्ट के तौर पर इजैक्यलेशन होने में देर लग सकती है। SSRI एंटी-डिप्रेसेंट से जुड़ी इसी बात ने प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के इलाज में क्रांति ला दी। सबसे पहले, साल 1994 में प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन की शिकायत करने वाले पुरुषों पर SSRI एंटी-डिप्रेसेंट के असर को जानने के लिए स्टडी की गई। इस क्लिनिकल स्टडीज़ के दौरान पता चला कि SSRI एंटी-डिप्रेसेंट का इस्तेमाल करने से धीरे-धीरे इजैक्यलेशन का समय बढ़ जाता है। इसलिए, SSRI एंटी-डिप्रेसेंट ने प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के इलाज के लिए एक नया और बेहतर रास्ता खोल दिया है।


साथ ही, ये इलाज के लिए पसंद के एजेंट बन गए हैं। फ़िनलैंड के अबो एकेडमी में मनोवैज्ञानिक और प्रोफेसर पैट्रिक जर्न का कहना है कि प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन पर SSRI एंटी-डिप्रेसेंट का असर सेक्स की दवा को मिली ज़बरदस्त कामयाबी की तरह था। उनका मानना है कि कई सालों से इसे प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के ऑफ-लेबल इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है जो कारगर भी रहा है। इसके बावजूद प्रीमेच्योर इजैक्यलेशन के इलाज के तौर पर SSRI एंटी-डिप्रेसेंट को चुनने से पहले डॉक्टर से ज़रूरी मुद्दों जैसे कि ख़ुराक, साइड इफ़ेक्ट के बारे में बात करना ज़रूरी है।