प्रेग्नेंसी का मतलब है लगातार नए-नए बदलावों से गुज़रना। वैसे इसके साथ मां बनने की खुशी को लेकर दिमाग में अलग ही एक्साइटमेंट, मज़ा और ख़ुशी होती है। ये चीज़ें प्रेग्नेंट महिला की ज़िदगी में बड़े बदलाव लाती हैं। वैसे पहली बार मां बनने से नई शुरुआत तो होती है साथ ही पहली बार पैरेंट बनने वालों के लिए नई ज़िम्मेदारी भी आती है। अगर आप दूसरी बार पैरेंट बन रहे हैं तो आपकी जिम्मेदारी थोड़ी और बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी का समय एक महिला के लिए उथल-पुथल वाला होता है। क्योंकि इस दौरान वह अपनी बॉडी और माइंड में कई सारे बदलाव महसूस करती है।
वैसे बॉडी में क्या बदलाव हो रहे हैं उन्हें आराम से नोटिस किया जा सकता है लेकिन इस दौरान वह अपने दिमाग में क्या महसूस कर रही हैं उसे जानें ताकि आप उनकी मदद बेहतर तरीके से मदद कर सकें। प्रेग्नेंट महिला को अजीबोगरीब फीलिंग, शरीर में सेंसेशन जैसा महसूस होता रहता है जो उसके दिमाग में गहरा असर डालता है। यहीं सपोर्ट करने वाले पार्टनर का रोल मायने रखता है। गौर करें, प्रेग्नेंसी और पैरेंट बनना पति-पत्नी दोनों की बराबर ज़िम्मेदारी होती है। एक जिम्मेदार पार्टनर की तरह अपनी पत्नी के मूड और व्यवहार के बदलाव को लेकर तैयार रहें।
यहां तक, 9 महीनों के दौरान आपके पार्टनर के शरीर में बड़े सारे बदलाव आएंगे जिनमें सेक्स करने की इच्छा में भी बदलाव होगा। हां! आपने बिल्कुल सही पढ़ा! सेक्स! जो भी गलत-सलत बातें आपने अपने दोस्तों, पास-पड़ोस वालों से सुनी हों, उसके उलट प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करना नॉर्मल और सेफ है। लेकिन बस एक्सेप्शन ये है कि डॉक्टर कुछ खास कारणों से मना कर सकते हैं। बहरहाल, ये बेहतर रहेगा कि आप इस दौरान पार्टनर के साथ हल्का-फुल्का प्यार जताएं। क्योंकि पेल्विक फोर्स की वजह से अक्सर दर्द महसूस होता है। मां बनने वाली महिला की सेक्स करने की चाह पहले के मुकाबले ज्यादा और कम दोनों हो सकती है। कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं की सेक्स करने की चाह बढ़ जाती है तो कुछ की घट जाती है।
वैसे जो भी बदलाव होते हैं उनका संबंध प्रेग्नेंसी से ज़रूर होता है। पहली तिमाही में आपके पार्टनर का एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ता है जिससे थकान महसूस होती है। साथ जी मिचलाना और ब्रेस्ट में सेंसेशन भी होता है। यह प्रेग्नेंट महिला के लिए बहुत नेचुरल है।
अच्छी बात है कि 10वें हफ्ते से हार्मोन लेवल गिरने लगता है। जैसे ही यह शुरू होता है तो प्रेग्नेंट महिला की बेचैनी और थकान कम होने लगती है। मुमकिन है वह अब एनर्जेटिक महसूस करें और उनकी सेक्स ड्राइव (सेक्स करने की इच्छा) तेज़ हो जाए. यह ड्राइव इसलिए तेज़ होती है क्योंकि ब्लड का फ्लो तेज़ हो जाता है जिससे सेक्स करने की उत्तेजना जल्दी होती है, योनि बेहतर गीली होती है और सेक्स करने में पूरा आनंद मिलता है। इस दौरान अपने पार्टनर का खूब खयाल रखें।
तीसरी तिमाही में, उनका वजन 11 से 15 किलोग्राम के आस-पास बढ़ जाएगा और इस दौरान पीठ में दर्द भी होगा। इस वजह से वह चिड़चिड़ी हो सकती हैं और उनकी सेक्सुअल ड्राइव भी पहले के मुकाबले कम हो सकती है। जो भी हो, लेकिन आप घबराएं नहीं। अच्छी तरह से बदलावों को स्वीकार करें और उनके सुख-दुख को बांटें। इससे आपकी पार्टनर ज्यादा रिलेक्स महसूस करेंगी। उनकी हेल्थ बेहतर होगी जो बच्चे के लिए फायदेमंद होगी।