क्या गुस्से में या किसी अन्य असहज स्थिति में आप भी अपने बाल नोचने लगते हैं। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि यदि आप ऐसा करते हैं, तो शायद आप ट्राइकोटीलोमेनिया नामक के रोग से पीड़ित हो सकते हैं।

इसके विषय में आगे चर्चा करने के पूर्व, आइये जानते हैं कि ट्राइकोटिलोमेनिया आखिर है क्या।


दरअसल ट्राइकोटिलोमेनिया एक ऐसा रोग है, जिसमें मरीज़ अपने बाल ( सिर या शरीर के अन्य हिस्सों से) नोचने लगता है, जिसके कारण उसके बाल टूटने लगते हैं। इसके परिणाम स्वरूप मरीज़ के सिर पर  छोटे या बड़े हिस्से उभरने लगते हैं जिनमें बालों की संख्या या तो काफी कम होती है या वहां पर गंजापन होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति में अक्सर आत्मविश्वास की कमी देखी जाती है एवं वह ज़्यादातर तनाव में ही रहता है। शुरुआत में टूटे हुए बाल दोबारा उग जाते हैं किंतु कुछ वर्ष बीतने के उपरांत, इनके रोम कूप कमज़ोर हो जाते हैं एवं यह नए बालों को जन्म नहीं दे पाते जिससे गंजेपन की समस्या होने लगती है। यह समस्या ज़्यादातर किशोरावस्था के बच्चों में एवं युवाओं में पाई जाती है। एवं यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज़्यादा देखने को मिलती है। यह रोग मामुली अवस्था में भी हो सकता है एवं बढ़ कर विशाल रूप ले सकता है। हालांकि दोनों स्थितियों में मरीज़ को अत्यधिक मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। यदि आपके परिवार में भी किसीको यह समस्या है तो जल्द से जल्द किसी चिकित्सक या ट्राइकोलॉजिस्ट का पराट्राइकोटिलोमेनिया की ज़्यादातर वजहें मानसिक होती हैं जैसे बेचैनी, तनाव, अवसाद इत्यादि। ऐसे हालात में अपने सिर के बाल नोचने से काफी शांति की अनुभूति होती है किंतु इसके आदि हो जाने पर जब वे हर बात पर अपने बाल नोचने लगते हैं। कुछ समय बाद वे स्वयं पर काबू खो बैठते हैं, इसके कारण उनके बाल अधिक संख्या में टूटने लगते हैं एवं वे गंजेपन का शिकार हो जाते हैं।

कई बार ट्राइकोटिलोमेनिया का निदान एलोपेसिया के रूप में कर लिया जाता है, जिससे इसका इलाज करने में कई अड़चने आती हैं। यह गलतफहमी होने के दो कारण हैं:

पहला कारण यह, कि एक अनुभव हीं व्यक्ति को दोनों ही स्थितियों समान दिखती हैं, एवं दूसरा कारण यह कि रोगी अपने चिकित्सक को यह बताने में हिचकिचाते हैं कि वे अपने बाल नोचते हैं। बच्चों एवं किशोरियों में इस रोग को पहचानना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि कई बार इसकी जानकारी उनके माता पिता को भी नहीं होती|


हालांकि दोनों में भेद करने के कई तरीके हैं जैसे ट्राइकोटिलोमेनिया में असमान लंबाई में बाल टूटते हैं। एवं ट्राइकोटिलोमेनिया में सिर के बाल ज़्यादातर दाहिने हिस्से से झड़ते हैं।इसके इलाज हेतु सबसे पहले एक चिकित्सक से परामर्श करें। समझें कि इस रोग के विषय में असहज नहीं होना चाहिए एवं हो सके तो एक मनोवैज्ञानिक का भी परामर्श लें।


इसे रोकने के कुछ घरेलू उपाय भी हैं, जैसे ग्लव्स पेहेन के रहें या अपने बालों को कटवा कर इतना छोटा कर लें कि वे आपकी पकड़ में न आ सकें। आप अपने बालों में कोई स्निग्ध पदार्थ जैसे क्रीम या तेल लगा सकते हैं एवं अपने सिर को स्कार्फ़ से भी ढक सकते हैं।