याद कीजिए जब आप बच्चे थे या टीनएज में थे, तब जीवन कितना आसान था। प्रेम की अभिव्यक्ति एक आम बात हुआ करती थी। पुरुषों को पुरुषों का हाथ थामे सड़कों पर देखना सामान्य हुआ करता था। खैर अब हालात ज़रा बदल चुके हैं। होमोफोबिया नामक एक हीन मानसिकता हमारे समाज में घर करती जा रही है। खासतौर पर पुरुष, अब एक दूसरे से अपने लगाव को व्यक्त करने में हिचकिचाते हैं।


दोस्तों के बीच ज्यादा कंफर्ट

कई महिलाओं की अपने साथी से यह शिकायत रहती है कि वे अपने पुरुष मित्रों को उनसे ज़्यादा अहमियत या प्राथमिकता देते हैं। जब पुरुषों से इस विषय में चर्चा की गई, तो उन्होंने माना कि वे अपनी महिला साथियों के मुकाबले, अपने पुरुष मित्रों के बीच ज़्यादा हल्का महसूस करते थे। उन पर किसी भी रूप से खुद को श्रेष्ठ या उत्तम दिखाने का दबाव नहीं होता। वे जानते हैं और मानते हैं कि उनके पुरुष मित्र उनकी बातें सुनकर उनके विषय में किसी प्रकार की राय नहीं बनाएंगे एवं उनकी आलोचना नहीं करेंगे। भावनात्मक रूप से जो सुरक्षा भाव वे वहाँ महसूस करते हैं, अपनी महिला साथी के साथ उस प्रकार के विश्वास की उन्हें कमी महसूस होती है।


क्या है ब्रोमांस

पुरुषों के अपने साथी पुरुष के प्रति लगाव को अंग्रेज़ी में "ब्रोमांस" शब्द से परिभाषित किया जाता है। यह एक ऐसा रिश्ता है, जो किसी भी रूप में शारीरिक आकर्षण एवं काम भावना से परे होता है। यह रिश्ता प्रेम एवं लगाव की नींव पर बनाया जाता है एवं विश्वास इसका मुख्य स्तम्भ होता है।


ज्यादा सहजता

पुरुषों ने यह माना कि उन्हें अपने पुरुष मित्रों के बीच रहकर अधिक सुरक्षित महसूस होता है। वे बिना किसी डर एवं झिझक के उनसे अपनी शारीरिक कमज़ोरियों एवं मानसिक अस्थिरताओं का ज़िक्र कर सकते हैं। सिर्फ पुरुषों ही नहीं बल्कि महिलाओं ने भी यह माना, कि वे अपने लव पार्टनर के मुकाबले, दूसरे पुरुष मित्रों से अपनी समस्याओं पर चर्चा करने में ज़्यादा सहज महसूस करती हैं। पुरुषों का मानना था कि अपने परिवार से संबंधित समस्या या किसी क़रीबी रिश्तेदार के साथ हुई दुखद घटना के विषय में वे अपनी महिला साथी के बजाय अपने पुरुष मित्र को बताना एवं अपना दुःख बाँटना बेहतर समझते हैं।


रिश्तों पर असर

ब्रोमांस के विषय पर किये गए एक शोध के अंतर्गत 30 पुरुषों से चर्चा की गई, जो या तो पूर्व में किसी प्रेम संबंध में रहे थे या फिर वर्तमान में किसी महिला के साथ प्रेम संबंध में थे। सभी पुरुषों ने यह माना कि उनका एक न एक पुरुष के साथ ब्रोमेन्स वाला संबंध हमेशा रहा है। उनमें से ज़्यादातर पुरुषों ने यह माना कि उनके पुरुष मित्र उनके जीवन में किसी भी अन्य रिश्ते से ज़्यादा प्राथमिकता रखते थे। उन्होंने हर दुख-सुख एवं हर मुश्किल घड़ी में उनका साथ निभाया था। इस प्रकार का विश्वास किसी महिला मित्र के साथ बना पाना उनके लिए मुश्किल कार्य था। ब्रोमान्स जहां पुरुषों को मानसिक तौर पर अधिक स्थिर एवं भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत बनाता है, वहीं यह उनके प्रेम संबंधों को खराब कर सकता है कमज़ोर कर सकता है। कई बार पुरुषों का अपनी महिला साथी के साथ भावनात्मक जुड़ाव घटता जाता है एवं उनके बीच दूरियाँ आ जाती हैं।

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