मानसिक समस्याएं किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकती हैं। आपको ये बात हैरान कर सकती है कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा मानसिक समस्याओं के मामले ज्यादा पाए जाते हैं, इसके बावजूद महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं। दरअसल हमारे समाज में पुरुषों के साथ एक दंभ जोड़ दिया जाता है कि वे भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं। "मर्द को दर्द नहीं होता" जैसे डॉयलॉग हम अक्सर अपने आसपास के लोगों से सुनते रहते हैं। यही कारण है कि पुरुष कई बार मानसिक समस्याओं के बारे में बात करने से कतराते हैं। ज्यादातर पुरुष मानसिक समस्याएं होने पर भी चुप रहते हैं और ऐसा दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे बहुत मजबूत हैं। चुप रहने से मानसिक समस्याएं और ज्यादा बढ़ती जाती हैं।


पुरुष ज्यादा क्यों होते हैं मानसिक समस्याओं का शिकार?

पुरुषों में मानसिक समस्याओं का कारण आमतौर पर उनकी जिम्मेदारी के बोझ और रिश्ते बनते हैं। मनोवैज्ञानिक जेफरी शियरर कहते हैं, "महिलाएं एक-दूसरे से ज्यादा जुड़ाव महसूस करती हैं इसलिए किसी तरह की मानसिक परेशानी होने पर दूसरी महिला से उनके लिए बात करना ज्यादा आसान होता है। जबकि ज्यादातर पुरुष दूसरे पुरुषों से इतना कनेक्टेड नहीं महसूस करते हैं कि वे अपनी बातें उनसे कह सकें। एक उम्र के बाद व्यक्ति की जिंदगी में दोस्त कम होने लगते हैं और परिवार या रिश्तेदार बढ़ने लगते हैं। कोई व्यक्ति अपने रिश्तेदारों से ये बातें नहीं करना चाहता है। ऐसे में वो अपने आपको अकेला महसूस करते हैं और अकेलापन मानसिक समस्याओं के लिए सबसे खतरनाक होता है।"


पुरुषों में मानसिक समस्याओं के आम कारण

ऐसे बहुत सारे कारक हो सकते हैं, जिसके कारण कोई पुरुष मानसिक समस्याओं का शिकार होता है। इनमें कुछ आम कारण इस प्रकार हैं-

  • परिवार में पहले से किसी व्यक्ति को मानसिक समस्या होना
  • ड्रग्स या शराब की लत
  • कोई गंभीर मेडिकल समस्या
  • एकांत या अकेलापन
  • बेरोजगारी, रिश्तों में झगड़े, नौकरी चले जाना या अन्य गंभीर तनावपूर्ण स्थितियां
  • भारी नुकसान हो जाना
  • अपने नजदीकी लोगों की अपेक्षाओं पर खरा न उतरना आदि।


कैसे बढ़ती है पुरुषों में मानसिक समस्या?


अगर कोई व्यक्ति किसी मानसिक समस्या से परेशान है, इसके बावजूद किसी से कुछ नहीं कह पा रहा है, तो धीरे-धीरे उसका मस्तिष्क डिप्रेशन की तरफ बढ़ने लगता है। कुछ लोग इससे छुटकारा पाने के लिए नशीली चीजों जैसे- सिगरेट, शराब, ड्रग्स आदि का सेवन शुरू कर देते हैं। इससे उन्हें तात्कालिक राहत मिलती है। लेकिन भीतर-भीतर समस्या और गंभीर होती जाती है। इसलिए जरूरी है कि समाज पुरुषों के बारे में इस स्टिग्मा को तोड़े कि वो हमेशा स्ट्रॉन्ग होते हैं और किसी से मदद मांगना उनकी शान के खिलाफ है। ये स्टिग्मा ही पुरुषों में मेंटल समस्याओं को गंभीर स्तर तक ले जाने का कारण बनता है।


मानसिक समस्या हो तो क्या करें?


अगर आपको किसी भी तरह की मानसिक परेशानी है, तो सबसे पहली और जरूरी चीज है कि किसी से बात कीजिए। वो आपका डॉक्टर हो सकता है, परिवार का कोई सदस्य हो सकता है, दोस्त हो सकता है या लवर हो सकता है, या कोई अंजान भी हो सकता है। दोस्तों और फैमिली का सपोर्ट ऐसे समय में सबसे ज्यादा काम आता है। कई मानसिक समस्याएं तो सिर्फ बताने से ही हल हो जाती हैं। जबकि कुछ के लिए आपको डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक की सहायता लेनी पड़ती है। इसलिए बात करना बेहद जरूरी है। सरकारों द्वारा ऐसे व्यक्तियों के लिए खास हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, जिन पर आप अपनी समस्या बताकर उचित मदद के साथ सही इलाज भी पा सकते हैं। याद रखें, टूट जाना किसी समस्या का हल नहीं है, बल्कि अपने पीछे बहुत सारे लोगों को तोड़ने की गलती है, जो शायद आप कभी नहीं करना चाहेंगे।



मिस्टर्स, मानसिक परेशानियों के बारे में बात करने से घबराएं नहीं!