वर्तमान समय में पुरुषों में स्तंभन दोष की समस्या आम होती जा रही है। इससे न सिर्फ उनमें शारीरिक तौर पर किन्तु मानसिक तौर पर भी कमज़ोरी उत्पन्न कर देता है।

शोधकर्ताओं ने कड़े प्रयास के बाद एक टॉपिकल जेल का आविष्कार किया है। उनका मानना है कि इस जेल के प्रयोग से पुरुषों को स्तम्भन दोष की समस्या से निज़ात प्राप्त हो सकता है। इस टॉपिकल जेल में एक विस्फोटक तत्व है, नाइट्रो ग्लिसरीन। यह तत्व आपतौर पर डायनामाइट में पाया जाता है। इंटरनेशनल बिज़नेस टाइम्स के अनुसार, यूनिवर्सिटी कॉलेज हॉस्पिटल लंदन एवं यूनाइटेड किंगडम मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने इस उत्पाद को करीब 220 पुरुषों पर इस्तेमाल किया। इस शोध में यह पता चला कि इस जेल को थोड़ी सी मात्रा में लेकर पुरुषों के लिंग पर लगाने से ज़्यादातर पुरूषों को मात्र 5 मिनट में इरेक्शन प्राप्त हो गया। 70 प्रतिशत पुरुषों को 10 मिनट में इरेक्शन प्राप्त हुआ। इसके परिणामों से यह साबित हो गया की यह जेल वायग्रा के मुकाबले 12 गुना ज़्यादा सफल एवं असरदार है।


क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार स्तंभन दोष की समस्या से  अमेरिका के 40 से ज़्यादा उम्र के चालीस प्रतिशत पुरुष पीड़ित हैं।चैनल न्यूज़ एशिया के अनुसार, वायग्रा एवं वायग्रा के समान अन्य दवाइयां, जैसे सियालिस और लेविट्रा का सेवन गोलियों के रूप में किया जाता है एवं इन्हें असर दिखने में करीब तीस मिनट से एक घंटे का समय लगता है। इसके बावजूद, करीब तीस प्रतिशत पुरुषों में यह नाकामयाब साबित होती हैं।


जब इस जेल को त्वचा पर लगाया जाता है, तो यह नाइट्रिक गैस पैदा करता है, जो मांसपेशियों को आराम देता है, रक्त नलियों फेल जाती हैं जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। हालांकि इसके प्रयोग कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं, जैसे सिरदर्द, किन्तु शोधकर्ताओं ने यह आश्वासन दिया है कि इस उत्पाद पर कार्यरत होकर वे इसके दुष्प्रभावों को हटा देंगे।

ठोस नाइट्रो ग्लिसरीन स्थिर होता है, तरल नाइट्रो ग्लिसरीन तैलीय, रंगहीन होता है एवं डायनामाइट के विस्फोटक होने का एक कारण माना जाता है। यह गति एवं तापमान में बदलाव के लिए अति सहिष्णु होता है।


महान अविष्कारक, अल्फ्रेफ नोबल, जिनके नाम पर नोबल पुरुस्कारों का वितरण किया जाता है, ने ही डाइनामाइट का अविष्कार भी किया था।