पुरुषों के शरीर में शुक्राणु अनुपस्थित होने की स्थिति को एज़ूस्पर्मिया कहा जाता है। यह स्थिति लगभग 1 प्रतिशत स्वस्थ पुरुषों में पाई जाती है, जबकि निःसंतान अथवा सेक्स संबंधित रोग से ग्रस्त पुरुषों में ये समस्या लगभग 15 प्रतिशत लोगों में पाई जाती है। इस बीमारी के कोई खास लक्षण नहीं हैं जिनसे इसे पहचाना जा सके। लेकिन यदि आप अपने साथी के साथ संतान प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं और फिर भी आपको असफलता हाथ लग रही है, तो काफी हद तक यह संभावना है कि आप इस बीमारी से ग्रस्त हैं।


कैसे होती है अशुक्राणुता?

एज़ूस्पर्मिया या अशुक्राणुता का अर्थ होता है शुक्र या वीर्य में शुक्राणुओं की अनुपस्थिति। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे, अण्डकोष में समस्या उत्पन्न होना जिससे वे नए शुक्राणुओं को पैदा न कर पाएं या फिर शुक्राणुओं का अण्डकोष से बाहर न निकल पाना


एज़ूस्पर्मिया के प्रकार

  1. प्रीटेस्टिक्युलर एज़ूस्पर्मिया: इस अवस्था में, पुरुष के अंडकोश स्वस्थ होते हैं, किन्तु उनका शरीर इन अंडकोषों की सहायता से नए शुक्राणु नही बना पाता। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे शरीर में टेस्टोस्टेरॉन या अन्य हॉर्मोन्स की कमी, कीमोथेरेपी या अन्य दवाओं का दुष्प्रभाव, आदि।
  2. टेस्टिक्युलर एज़ूस्पर्मिया:  इसके तहत, अण्डकोषों को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचने से वे शुक्राणुओं के निर्माण में असमर्थ हो जाते हैं। इसके कारण निम्नलिखित हैं:
  • पुरुषों के प्रजनन मार्ग में इंफेक्शन हो जाना, जैसे एपिडीडिमाइटिस, यूरेथ्राइटिस आदि।
  • बचपन से चल आ रहा कोई रोग जैसे वाइरल ऑर्किटिस, जिसके चलते पुरुषों के एक या दोनों अण्डकोषों में सूजन आ जाती है।
  • शरीर के निचले भाग में कोई गहरी चोट।
  • कैंसर आदि के उपचार के लिए प्रयुक्त रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी आदि से शरीर में उत्पन्न हुई विकृति।
  • अनुवांशक रोग, जैसे क्लिनफ़िल्टर सिंड्रोम।


अशुक्राणुकता का पता कैसे चलता है?

अशुक्राणुता के निदान हेतु, सबसे पहले पुरुष के सीमेन के सैंपल लैब में परीक्षा हेतु दिए जाते हैं, जहां उन्हें एक हाई पॉवर माइक्रोस्कोप द्वारा परखा जाता है। दो बार इस प्रकार परीक्षा करने पर भी यदि पुरुष के सीमेन में शुक्राणु नहीं पाए जाते, तो इसे एज़ूस्पर्मिया मान लिया जाता है

रोग पहचानने के पश्चात आपका चिकित्सक इस रोग का कारण को खोजने की कोशिश करता है। इसके तहत आपका फिजिकल एग्ज़ामिनेशन किया जाता है, आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री पूछी जाती है एवं आपके रक्त में मौजूद अनेक हॉर्मोन्स की मात्रा को परखा जाता है।

यदि आपके रक्त में सभी हॉर्मोन्स की मात्रा सामान्य पाई जाती है, ऐसे में आपका चिकित्सक आपको अपने अंडकोष के अल्ट्रासाउंड की हिदायत देता है। इस प्रक्रिया से शुक्राणु के मार्ग में आने वाली रुकावटों के विषय में पता चल जाता है। MRI करवाने से भी सीमेन के मार्ग में आने वाली रुकावटों का पता चल जाता है। कई बार इन रुकावटों को हटाने का एक मात्र तरीका सर्जरी ही होता है। यदि एम आर आई के पश्चात यह परिणाम निकले की वीर्य के मार्ग में किसी भी प्रकार का कोई अवरोध नहीं है, तो ऐसी स्थिति में आपके जेनेटिक टेस्ट कराए जाते हैं। इसके तहत आपकी जीन्स में पाई जाने वाली विकृति के विषय मे पता चलता है।


अशुक्राणुता का उपचार

विज्ञान की देन से कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनकी मदद से इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है। यह उपाय उन दंपत्तियों के जीवन में आशा की एक किरण के समान है, जो संतान की इच्छा रखते हैं किंतु अशुक्राणुता के कारण असफल हो जाते हैं।

यदि किसी पुरुष के शरीर में वीर्य के मार्ग में अवरोध होने से उसे अशुक्राणुता की शिकायत है, तो यह सर्जरी के द्वारा दूर की जा सकती है। जो पुरुष सर्जरी नहीं करवाना चाहते, उनके लिए स्पर्म रिट्रीवल नामक तकनीक काम आ सकती है। एक अन्य तकनीक के अंतर्गत एक सूक्ष्म सुई के द्वारा पुरुष के अंडकोष से शुक्राणुओं को बाहर निकाला जाता है एवं उन्हें उचित तापमान पर जमा दिया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर आई वी एफ (IVF) तकनीक द्वारा इन शुक्राणुओं के प्रयोग से गर्भ की उत्पत्ति की जाती है।


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