अपने दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर नई और सकारात्मक ऊर्जा के साथ करना, अच्छे, स्वादिष्ट एवं पौष्टिक आहार का सेवन करना और अपने काम को पूर्ण निष्ठा से सम्पन्न कर पाना  किसी सुनहरे स्वप्न की तरह प्रतीत होता है। इससे न सिर्फ आपके शरीर, किन्तु आपके बैंक एकाउंट को भी लाभ प्राप्त हो सकता है। ऐसा करने से जहाँ यह आपको आपके बॉस की नज़रों में ऊँचा उठा सकता है एवं उनसे शाबाशी दिलवा सकता है, वहीं आपकी हेयर लाइन पर इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।


हाल ही में किये गए एक शोध में यह निष्कर्ष निकाला गया की एक दिन में आप जितने लंबे समय तक कार्य करते रहते हैं, आपके बाल झड़ने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाती है । दक्षिण कोरिया में 13000 पुरुषों पर किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार जो पुरुष एक सप्ताह में 52 से अधिक घंटो तक कार्य करते पाए गए, उन सभी को जीवन में कभी न कभी गंजेपन से गुजरना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि लंबे समय तक कार्य करने से मस्तिष्क में जो तनाव उत्पन्न होता है, उससे हमारे शरीर में कई प्रकार के हॉर्मोनल बदलाव होते हैं जो हमारे बालों की जड़ो को कमज़ोर बना देते हैं, जिससे हमारे बाल टूटते हैं एवं नए बाल भी उत्पन्न नहीं होते।

शोधों में यह भी पाया गया कि भावनात्मक अस्थिरता हमारे शरीर पर हमारे व्याधि क्षमत्व तंत्र (इम्यून सिस्टम) द्वारा असर करती है। इसके प्रभाव से हमारे बाल झड़ने एवं टूटने लगते हैं और पतले हो जाते हैं। यह हमारे सिर की त्वचा को बेहद बंजर बना देता है, जिससे उन पर नए बालों का उग पाना बेहद मुश्किल या नामुमकिन हो जाता है।


दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2013 - 2017 में अपने द्वार किये गए शोध में 20 से 59 वर्ष की आयु के पुरुषों को शामिल किया। इस शोध से उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि आर्थिक तंगी, नशे एवं धूम्रपान से संबंधित आदतें, और वैवाहिक संबंधों में तनाव जैसी कुछ स्थितियाँ गंजेपन के मुख्य घटक के रूप में कार्य करती हैं। इसी प्रकार से कई अन्य शोधकर्ताओं ने भी गंजेपन से जुड़े विषयों पर अपने शोध सम्पन्न किये जिनसे यह निष्कर्ष निकला की अधिक समय तक लगातार काम करते रहने से शरीर में तनाव उत्पन्न होता है। इस तनाव के चलते शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव आते हैं जिनका सीधा प्रभाव सिर की त्वचा पर पड़ता है एवं बालों की जड़ें कमज़ोर हो जाती हैं और वे एलोपेशिया नामक गंजेपन से जुड़े एक रोग से पीड़ित हो जाते हैं। इससे सिर के बाल टूटते हैं एवं नए बाल नहीं उगते। झड़ते बाल एवं गंजेपन के चलते पुरुषों का आत्मविश्वास घटने लगता है जिससे उनके व्यक्तित्व को भी क्षति पहुंचती है। इसके चलते उनमें मानसिक तनाव पनपता है, जिसके दुष्प्रभाव स्वरूप अधिक बाल झड़ते हैं।


एलोपेशिया नामक यह रोग हमारे समाज मे काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसका इलाज तभी संभव है, जब इस रोग के पूर्व रूप में ही चिकित्सक का परामर्श लिया जाए। कई पुरूषों में एलोपेशिया कुछ वस्तुओं या तत्वों से एलर्जी के परिणाम स्वरूप भी होता है।