गिलोय एक ऐसा पौधा है, जिसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों में आपने जरूर सुनी होगी। आयुर्वेद में गिलोय के पौधे का विशेष महत्व है क्योंकि ये शरीर के संक्रमण और बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है। गिलोय का वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora Cordifolia) है। इसे कुछ लोग नेक्टर, अमृत या गुडूची भी कहते हैं। भारतीय आयुर्वेद में गिलोय का प्रयोग काफी पुराने समय से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। इम्यूनिटी बढ़ाने के अलावा भी गिलोय कई बीमारियों और रोगों को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाती है।

हाल में ही भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी कोविड-19 के खिलाफ जिन 3 आयुर्वेदिक औषधियों का क्लीनिकल ट्रायल किया था, उसमें गिलोय भी एक है। हालांकि कोरोना वायरस के खिलाफ गिलोय कितनी प्रभावी है, इस बारे में और अधिक शोध और टेस्ट होने अभी बाकी हैं। लेकिन यह तो वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है कि गिलोय में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं और इसके सही इस्तेमाल से व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर में टॉक्सिन्स का प्रभाव कम होता है।


इस आर्टिकल में हम आपको गिलोय के फायदे और इसके इस्तेमाल का सही तरीका बता रहे हैं।


गिलोय को भारत के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के द्वारा औषधीय प्रयोग की स्वीकृति दी जा चुकी है। गिलोय की जड़ और तने को कई तरह की मेडिकल समस्याओं में फायदेमंद पाया गया है और इसका सेवन सुरक्षित माना गया है।

  1. गिलोय के सेवन से अपेक्षाकृत इम्यूनिटी बढ़ती है और रोगों से लड़ने के लिए शरीर तैयार होता है।
  2. गिलोय का सेवन क्रॉनिक फीवर (तेज बुखार) को ठीक करने में मददगार साबित होता है।
  3. पेट और पाचन संबंधी समस्याओं में भी गिलोय फायदेमंद है। इसके सेवन से पाचन ठीक रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है।
  4. गिलोय में खास हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट्स होते हैं, जिसके कारण ये टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।
  5. गिलोय के संबंध में कुछ वैज्ञानिक प्रमाण तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं को ठीक करने के भी मिले हैं।
  6. गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं, जिसके कारण ये अर्थराइटिस और जोड़ों में दर्द की समस्या को ठीक करता है।
  7. गिलोय के इसी गुण के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं (रेस्पिरेटरी इशूज) जैसे- खांसी, ठंड लगना और टॉन्सिटाइटिस आदि में भी इसे फायदेमंद माना जाता है।


यहां यह बता देना जरूरी है कि गिलोय भले ही प्राकृतिक पौधा है, लेकिन आयुर्वेदिक दृष्टि से ये औषधि है, इसीलिएर इसे कैसे खाना है और कितना खाना है, इस बारे में भी शोधकर्ताओं और हेल्थ एक्सपर्ट्स ने अपनी राय रखी है। सकारात्मक परिणाम के लिए आप गिलोय को 3 तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं।


  1. गिलोय की टैबलेट्स मौजूद हैं, जिसे वयस्क दिन में 2 बार 1-1 टैबलेट खा सकते हैं। जबकि 10 साल से कम उम्र के बच्चों को दिन में 1 ही टैबलेट खाने की सलाह दी जाती है।
  2. गिलोय का जूस भी बहुत पॉपुलर है। इसे पानी में गिलोय की टहनी को उबालकर बनाया जाता है। 2 ग्लास पानी में 1 उंगली बराबर गिलोय की टहनी को तब तक उबालें, जब तक पानी जलकर आधा न हो जाए। इसके बाद इस जूस को गर्म-गर्म ही पिएं। आप इस जूस को दिन में 1 ग्लास तक पी सकते हैं।
  3. आप चाहें तो गिलोय के साथ कुछ अन्य आयुर्वेदिक हर्ब्स को मिलाकर इसका काढ़ा भी बना सकते हैं। इसके लिए 2 इंच अदरक का टुकड़ा, 3-4 तुलसी की पत्तियां, 1 उंगली बराबर गिलोय की टहनी, 2 दाने काली मिर्च और 2 दाने सफेद मिर्च को कूटकर मिक्स कर लें और इसे पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिएं। आप इस काढ़े को दिन में 1 बार आधा ग्लास तक पी सकते हैं।


पुराने समय में गिलोय के इन्हीं प्रयोगों के द्वारा लोग बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्राप्त करते थे और अपनी इम्यूनिटी बढ़ाते थे। लेकिन मेरी सलाह यही है कि आप बिना किसी एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह के अपने से ही गिलोय का सेवन न शुरू कर दें, क्योंकि विशेष स्थितियों में इनके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

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